Sunday, August 14, 2016

UP Election : AAP के मठाधीश क्यों हिम्मत नहीं जुटा पा रहे अपने गृहप्रदेश में कदम रखने की.?

गुजरात, पंजाब और गोवा में हवाई दावे करते घूम रहे आम आदमी पार्टी के मठाधीश अपने गृहप्रदेश में कदम रखने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं?
उत्तरप्रदेश की जनता की चुनावी अदालत का सामना करने से इतनी बुरी तरह घबरा क्यों रही है आम आदमी पार्टी..???
बात अपने एक राजनीतिक संस्मरण से प्रारम्भ करता हूँ.
लगभग 14 वर्ष पूर्व 2002 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में राजधानी लखनऊ से सटी एक विधानसभा सीट पर पूर्व में कांग्रेस की केंद्र सरकार में मंत्री रहे एक दिग्गज चुनाव लड़े थे. उन्हें कुल 2900 वोट मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गयी थी. उन कांग्रेसी दिग्गज के साथ पूर्व में केंद्र सरकार में उनके साथ मंत्री रह चुके कांग्रेस के एक राष्ट्रीय नेता उक्त विधानसभा चुनाव के लगभग 3 वर्ष बाद किसी कार्य से लखनऊ आये तो उन्होंने उत्तरप्रदेश के एक चर्चित कांग्रेसी नेता से यह पूछा कि, भाई पूर्व मंत्री जी की इतनी बुरी हार का कारण क्या था.? क्या वो किसी ऐसी अंजान जगह से चुनाव लड़ गए थे, जहां उन्हें कोई जानता ही नहीं था.?
उत्तरप्रदेश के चर्चित कांग्रेसी नेता ने उन्हें जवाब देते हुए कहा था कि नहीं ऐसा नहीं है. वो अपने गृहस्थान से सटे चुनाव क्षेत्र से ही चुनाव लड़े थे और उन्हें सब जानते भी थे, सिवाय उन 2900 लोगों के जिन्होंने उन्हें वोट दिया था…!!!
संयोगवश उक्त संवाद का मैं भी साक्षी रहा था, अतः आजकल मुझे उस 14 साल पुराने उस संवाद की याद खूब आ रही है क्योंकि इन दिनों गुजरात पंजाब और गोवा में अरविन्द केजरीवाल की सियासी धमाचौकड़ी की चर्चा खूब हो रही है. इन राज्यों की जनता का भाग्य बदल देने के केजरीवाल के दावों का सियासी बाजार इन राज्यों में खूब गर्म है. केजरीवाल के ऐसे दावों से सजे दिल्ली सरकार के विज्ञापनों से इन तीनों राज्यों के अख़बारों के 3-3, 4-4 पन्ने लगभग रोजाना भरे जा रहे हैं. लेकिन उपरोक्त राज्यों में केजरीवाल की सक्रियता ने कुछ अत्यन्त गम्भीर सवालों को भी जन्म दिया है, जिनका जवाब केजरीवाल को देना ही होगा.

गुजरात को छोड़कर पंजाब और गोवा के साथ ही उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनाव भी 7-8 माह बाद ही होने हैं. लेकिन उत्तरप्रदेश में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सक्रियता शून्य नज़र आ रही है. इस निष्क्रियता ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आम आदमी पार्टी उत्तरप्रदेश में चुनाव नहीं लड़ेगी.
यही वह बिंदु है जो केजरीवाल की नीति और नीयत को कठघरे में खड़ा करता है. बिजली पानी शिक्षा स्वास्थ्य भूख गरीबी बेरोजगारी महंगाई, भ्रष्टाचार जर्जर क़ानून व्यवस्था जातिवाद साम्प्रदायिकता सरीखी जिन समस्यायों के समाधान के तार तोड़कर जमीन पर ला देने का वादा केजरीवाल द्वारा गुजरात पंजाब गोवा की जनता से किया जा रहा है, वह सभी समस्यायें क्या उत्तरप्रदेश में नहीं है? केजरीवाल के अनुसार क्या उत्तरप्रदेश में राम राज्य स्थापित हो चुका है.?
केजरीवाल से यह सवाल इसलिए क्योंकि केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी का पूरा शीर्ष नेतृत्व उत्तरप्रदेश का ही रहनेवाला है. फिर उत्तरप्रदेश की जनता की चुनावी अदालत का सामना करने से इतनी बुरी तरह घबरा क्यों रही है आम आदमी पार्टी? इसका कारण शायद वही है जिसका जिक्र इस लेख की शुरुआत में अपने संस्मरण में किया है.
“हारूं या जीतूं मैं बनारस अमेठी को छोड़कर अब कहीं नहीं जाऊँगा.” सरीखी कसमें खानेवाले केजरीवाल और कुमार विश्वास जिस दिन चुनाव परिणाम आया था उसी दिन बनारस और अमेठी से गधे के सिर से सींग की तरह यूं गायब हुए थे कि आजतक लौटकर वापस नहीं गए.
दरअसल उत्तरप्रदेश की जनता केजरीवाल समेत पूरी आम आदमी पार्टी के मिथ्याभाषी चाल चरित्र और चेहरे को काफी पहले ही भलीभांति पहचान चुकी है. 2014 में 80 लोकसभा सीटों में से 79 सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त करवा कर उत्तरप्रदेश ने अपना फैसला भी सुना दिया था. यही कारण है कि गुजरात पंजाब और गोवा में हवाई दावे करते घूम रहे आम आदमी पार्टी के मठाधीश अपने गृहप्रदेश में चुनावी कदम रखने की हिम्म्त नहीं जुटा पा रहे है.
पंजाब गोवा गुजरात का अँधेरा दूर करने का दावा करते हुए घूम रहे आम आदमी पार्टी के तथाकथित राष्ट्रीय मठाधीशों का सीधा संबंध जिन स्थानों से है वह सभी स्थान आज भी विकास की किरण से कोसों दूर हैं और पिछड़ेपन के घने स्याह अँधेरे में क़ैद है. उन स्थानों के नामों के उल्लेख मात्र से ही यह स्पष्ट हो जाता है.
ज़रा ध्यान दीजिये कि, आमआदमी पार्टी का नेता आशुतोष (मिर्ज़ापुर) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता कुमार विश्वास (पिलखुआ, हापुड़) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता मनीष सिसोदिया (पिलखुआ, हापुड़) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता संजय सिंह (सुल्तानपुर) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता गोपाल रॉय (मऊ) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता आशीष खेतान (बाराबंकी) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता जितेन्द्र तोमर जिसे केजरीवाल ने अपनी सरकार में क़ानून मंत्री बनाया था और जो अपनी फ़र्ज़ी डिग्री के कारण जेल में बंद हो गया था वो तोमर भी (एटा) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता और सरकार में कानून मंत्री कपिल मिश्रा मूल रूप से (देवरिया) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता और सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मूल रूप से (किरथल, बागपत) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
आमआदमी पार्टी का नेता दिलीप पांडेय (श्रावस्ती) उत्तरप्रदेश का रहनेवाला है.
मित्रों खुद अरविन्द केजरीवाल हरियाणा का रहनेवाला है और पिछले 25 साल से गाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) में रह रहा था. वहीँ का वोटर था. लेकिन उत्तरप्रदेश तो छोड़िए हरियाणा में भी चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था.