Thursday, September 29, 2016

कांग्रेस नेताओं की फौज क्यों तिलमिला रही है...???

पाकिस्तान के खिलाफ सुषमा स्वराज के प्रचण्ड प्रहारों वाले भाषण के खिलाफ भारत में कांग्रेस नेताओं की फौज क्यों तिलमिला रही है...???
केवल 6 दिन पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के वैश्विक मंच से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के भाषण के समय सभागार 99% खाली था. एक तरह से दुनिया ने पाकिस्तान का अघोषित बहिष्कार किया था.
आज जब भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज उसी मंच से लगभग 23 मिनट बोलीं तो वही सभागार लगभग आधा दर्जन बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान पर सुषमा स्वराज के प्रचण्ड प्रहारों से पाकिस्तान बुरी तरह तिलमिला गया है. उसका तिलमिलाना स्वाभाविक भी है और समझ में भी आता है.
.....किन्तु पाकिस्तान के खिलाफ सुषमा स्वराज के प्रचण्ड प्रहारों वाले भाषण के खिलाफ यहां भारत में कांग्रेस नेताओं की फौज क्यों तिलमिला रही है...???
आप मित्रों के अनुसार इसका कारण क्या है...???

Saturday, September 24, 2016

पीओके पर भारतीय सेना का हमला और 20 आतंकियों की मौत : राजनीति, कूटनीति या रणनीति

अमेरिका से भीख में मिले युद्धक विमान F-16 के जत्थे पिछले 3 दिनों से इस्लामाबाद से लाहौर तक के आकाश पर लगातार रात दिन मंडरा रहे हैं. भारत से सटे पाकिस्तानी कश्मीर समेत सभी इलाकों की वायुसेवा ठप्प कर दी गयी है. इस्लामाबाद, लाहौर के मुख्य राजमार्गों का यातायात रोक कर उन्हें खाली करा लिया गया है. ट्विटर पर पाकिस्तान के दिग्गज पत्रकार और रक्षा विशेषज्ञ पाकिस्तानी जनता को ढांढ़स बंधा रहे हैं कि घबराइये मत यह पाकिस्तानी सेना का सामान्य युद्धाभ्यास है.
उपरोक्त सभी तथ्य पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया के समाचार माध्यमों में छाये हुए हैं.
आखिर क्यों...???

नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर भारतीय सेना द्वारा आतंकी कैम्पों पर किये गए भयंकर हमले की अपनी पहली खबर पर न्यूजएजेंसी Quint की वेबसाइट डटी हुई है. बरखा, राजदीप, रविश, प्रवीण स्वामी सरीखे अनेक प्रेस्टियूट्स की फौज द्वारा उसको नकारने की कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब Quint कल दिन भर देती रही और अपने दावे पर डटी हुई है...
इस सन्दर्भ में मेरा मत.....

1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत में पाकिस्तान रेडियो भी बहुत सुना जाता था. किस्सा उसी समय का है...... वो मेरे बचपन के दिन थे, लखनऊ रेलवे स्टेशन के बिलकुल बगल की रेलवे कालोनी में ही निवास था. उन दिनों भारत पाक युद्ध चरम पर था. तब एक दिन अचानक पाकिस्तानी रेडियो पर “इंशाल्लाह…” की दहाड़ के साथ समाचार गूंजा कि… पाकिस्तानी बमवर्षक विमानों ने लुधियाना आगरा और लखनऊ पर भारी बमबारी की है जिसके कारण लुधियाना का सैनिक हवाई अड्डा और आगरा तथा लखनऊ का रेलवे स्टेशन जल कर खाक़ हो गया है……
अब आगरा और लुधियाना के विषय में तो किसी को कोई जानकारी नहीं थी लेकिन लखनऊ के रेलवे स्टेशन के बिलकुल बगल में तो हमलोग रह ही रहे थे और वहाँ जनजीवन बिलकुल सामान्य था. अतः समाचार सुनकर एक क्षण को सकते में आ गए सभी कालोनी वाले कमरों से निकलकर आसमान ताकने लगे थे और अगले ही क्षण ठहाके लगा रहे थे… बाद में लुधियाना और आगरा से सम्बन्धित पाकिस्तानी रेडियो के बेशर्म झूठ की भी धज्जियां उड़ गयी थीं...

आज यह किस्सा इसलिए क्योंकि अपनी सैन्य ताक़त को लेकर पाकिस्तान अपनी जनता से हमेशा झूठ ही बोलता रहा है. आज भी उसकी स्थिति वही है. इसीलिए उड़ी हमले के बाद भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के समाचार पर कुछ लोग यह कहकर सवाल उठा रहे हैं कि, पाकिस्तान आखिर चुप क्यों है…???
...तो मित्रों यह भी समझ लीजिये कि पिछले डेढ़ दो दशक से पाकिस्तानी सेना इसी दावे और वायदे के सहारे खुद पाकिस्तानी जनता में खुद को प्रासंगिक और प्रभावी बनाये हुए है कि… “….यदि भारत ने कोई हिमाकत की तो हम भारत पर एटम बम से हमला कर देंगे…” हालांकि पाकिस्तानी फौजी जनरल यह भी जानते हैं कि अपने देश की जनता से वो सरासर सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं. कारगिल युद्ध इसकी बेहतरीन मिसाल है. तब लगातार दो महीने तक भारत से युद्ध के बाद मिली करारी पराजय के बाद भी पाकिस्तान ने एटम बम नाम की अपनी चिड़िया का इस्तेमाल करना तो दूर, पूरे युद्ध के दौरान उसका जिक्र तक नहीं किया था.
जाहिर है कि ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी जनता उससे पूछती कि भारत की फौज द्वारा इतनी बुरी तरह जुतियाये जाने के बावजूद भी तुमलोगों ने एटम बम इस्तेमाल क्यों नहीं किया..???
ऐसे सवालों से बचने/मुंह चुराने के लिए पाकिस्तान ने पाकिस्तानी सेना के पहचानपत्र समेत बाकायदा फौजी वर्दी में कारगिल युद्ध में मारे गए अपने सैकड़ों सैनिकों की लाशें यह कहकर वापस लेने से मना कर दिया था कि यह हमारे सैनिक ही नहीं हैं, पाकिस्तानी फौज का इससे कोई लेनादेना नहीं है.
इसबार भी स्थिति कुछ वैसी ही है. भारत के सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तानी हल्ले पर वहाँ की जनता फौज से उसके “एटम बमी” राग वाले सवाल पूछने लगेगी, जिसका जवाब फौजी हुक्मरानों के पास नहीं है.
सर्जिकल स्ट्राइक के समाचार पर दूसरी शंका भारतीय सेना के प्रवक्ता द्वारा खण्डन को लेकर है.

...तो यह भी याद करिये कि… म्यांमार सरकार को सूचना देकर उसकी सहमति से म्यांमार में घुसकर किये गए सैन्य ऑपरेशन की पुष्टि भारत सरकार ने ना तब की थी…. ना आजतक की है… ना कभी करेगी…
कुछ अंतरराष्ट्रीय बाध्यताएं हैं, जिनका पालन करना ही पड़ता है. और हम सबको यह सच भी स्वीकारने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि हम अमेरिका की तरह राजनीतिक कूटनीतिक ताक़तवर नहीं हैं.
इसीलिए इतनी गम्भीर स्थिति के बावजूद रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने विशेष समय निकालकर भाजपाई प्रवक्ताओं से स्वयं मिलकर उन्हें कुछ निर्देश दिए, अभी तक उजागर नहीं हुआ कि वो निर्देश क्या थे. लेकिन आज़ाद भारत के इतिहास में यह पहला और अकेला उदहारण है कि, सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ताओं को पार्टी अध्यक्ष या कोई वरिष्ठ पार्टी नेता के बजाय देश का रक्षामंत्री स्वयम निर्देश देने पहुंचा हो. यह सामान्य नहीं असाधारण घटनाक्रम था. दरअसल रक्षामंत्री को यह असाधारण कदम पूर्व में की गयी भाजपाई प्रवक्ताओं की उसी मूर्खता के कारण उठाना पड़ा जिसका खामियाजा भारत को तब भोगना पड़ा था जब म्यांमार की कार्रवाई का नगाड़ा पीटते हुए भाजपाई प्रवक्ता न्यूजचैनलों पर वाहवाही लूटने में जुट गए थे. इसीलिए इसबार रक्षामंत्री ने उन सबपर नकेल कसी हुई है.

अब बात समाचार की पुष्टि की….
...तो सबसे पहले बात उस वेबसाइट Quint की जिसने यह खबर उजागर की और जिसके मालिक राघव बहल हैं. राघव बहल कोई ऐरा गैरा नाम नहीं है. यह वह आदमी है जो पूरे CNN IBN ग्रुप का संस्थापक/मालिक रहा है. उसने अपनी वेबसाइट पर इतनी संवेदनशील और गम्भीर यह खबर यूं ही नहीं डाल दी है. खबर में यह स्पष्ट भी किया है कि… खबर सेना के सूत्र से मिली सूचना पर ही लिखी गयी है.
Quint वेबसाइट की खबर की पुष्टि एक और महत्वपूर्ण तथ्य से भी होती है. 20 सितम्बर की रात के बाद से ही पाकिस्तानी कब्ज़े वाले कश्मीर गिलगिट बल्टिस्तान में पाकिस्तान ने हवाई जहाजों की उड़ानों को पूरी तरह से रोक दिया है. आखिर क्यों.?
दरअसल कुछ बातें सच्चाइयां ऐसी होती हैं जिनका दावा आप सबकुछ जानते हुए भी नहीं कर सकते हैं.
अपरोक्ष रूप से सूचना देती यह खबर छापकर भी राघव बहल ने बड़ा जोखिम उठाया है, जिसके परिणाम सकारात्मक भी हो सकते हैं, नकारात्मक भी हो सकते हैं.

Tuesday, September 20, 2016

URI ATTACK : वो शातिर जेबकतरा बहुत याद आ रहा है…

.....उरी हमले के बाद गुस्सा तो बहुत हूँ लेकिन इस गुस्से में भी आज जब टीवी पर कांग्रेसी प्रवक्ताओं को सियासी फीते से 56 इंच और 56 सेंटीमीटर की नापजोख का मुजरा करते देखा तो मुझे उस शातिर अनुभवी जेबकतरे की याद आ गयी जो जेब काट कर भागते हुए दोनों हाथों से आगे की ओर इशारा करते हुए चिल्लाता जाता है कि… पकड़ो पकड़ो उसको पकड़ो… देखो बचकर जाने ना पाए… 
जिनकी समझ में ना आया हो उनके लिए स्पष्ट कर दूं...
बात सौ दो सौ साल पुरानी नहीं है….

अभी कुछ महीनों पहले ही मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता पाकिस्तान जाकर बाकायदा पाकिस्तानी न्यूजचैनलों पर पाकिस्तानी सरकार से यह मांग कर रहे थे कि…. भारत की मोदी सरकार को हटाने में पाकिस्तान उनकी मदद करे…
यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि देश की मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने में कांग्रेस की मदद पाकिस्तान किस तरह कर सकता था…?


वो शातिर जेबकतरा मुझे इसलिए भी बहुत याद आ रहा है…
क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि…
इसी वर्ष फरवरी में देश की राजधानी दिल्ली में JNU में “भारत तेरे टुकड़े होंगे… इंशाल्लाह… इंशाल्लाह…” “भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी…चलेगी…” और “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाने वाले देशद्रोही गुंडों को अपना नैतिक, राजनैतिक समर्थन देने, उनका हौसला बढ़ाने कोई छुटभैय्या कांग्रेसी नहीं गया था बल्कि कांग्रेसी राजकुमार राहुल गाँधी ने इस देशघाती कारनामे को अंजाम दिया था. वह देशद्रोही नारे लगानेवाले पाकिस्तान परास्त गुंडों के गैंग के सरगना कन्हैया कुमार के चित्र को असम विधानसभा चुनावों के अपने प्रचार पोस्टरों में कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारक की तरह प्रमुखता से स्थान दिया था.

वो शातिर जेबकतरा मुझे बहुत याद आ रहा है…

क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि…

26/11/2008 को मुम्बई पर हुए पाकिस्तानी आतंकवादियों के बर्बर हमले के बाद कांग्रेस सरकार का मंत्री अब्दुल रहमान अंतुले उस हमले को हिन्दू आतंकवादियों का हमला सिद्ध करने की कोशिश करके पाकिस्तान और उसके द्वारा भेजे गए आतंकियों को बचाने का देशघाती निर्लज्ज प्रयास कर रहे थे और उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के बजाय माँ-बेटे समेत उनकी कांग्रेस अंतुले के खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोली थी.

वो शातिर जेबकतरा मुझे इसलिए भी बहुत याद आ रहा है…
क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि…
26/11 2008 को मुम्बई पर हुए पाकिस्तानी आतंकवादियों के बर्बर हमले के बाद कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह पाकिस्तान और उसके द्वारा भेजे गए आतंकवादियों को बचाने का देशघाती निर्लज्ज प्रयास यह कहकर कर रहे थे कि… मुम्बई पर आतंकवादियों का हमला RSS की साज़िश है.

वो शातिर जेबकतरा मुझे इसलिए भी बहुत याद आ रहा है…
क्योंकि मैं भूला नहीं हूँ कि…
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की रक्तरंजित जघन्य आतंकवादी घटनाओं…. बाटला हाऊस, इशरत जहां मुठभेड़ , समझौता एक्सप्रेस विस्फोट सरीखे प्रसंगों पर कांग्रेसी फौज की चाल चरित्र और चेहरा कितना स्याह और संदेहास्पद रहा है… यह शर्मनाक सच देश आज तक भूला नहीं है इसलिए उन किस्सों को दोहरा नहीं रहा हूँ… यह कुछ उदाहरण मात्र हैं… ऐसे शर्मनाक प्रसंगों की सूची बहुत लम्बी है…..

......लेकिन बात कश्मीर और पाकिस्तान की हो और इस समस्या को जन्म देनेवाले जवाहरलाल नेहरू का जिक्र ना हो तो यह उचित नहीं होगा.
अतः कांग्रेस को देश को यह जवाब देना चाहिए कि अगर 1948 में मोहनदास करमचंद गाँधी को मौत के घाट उतारनेवाले नाथूराम गोडसे के खिलाफ वो आज भी छाती पीटती है, तो अब तक लगभग दो लाख से अधिक हिंदुस्तानियों को मौत के घाट उतार चुकी तथा 3 लाख कश्मीरी पण्डितों का घरद्वार जमीन छीन चुकी कश्मीर समस्या को 1948 में ही जन्म देनेवाले जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ भी कांग्रेस उसी तरह अपनी छाती क्यों नहीं पीटती…??? जबकि मोहनदास करमचन्द गाँधी की मौत के कारण किसी अन्य हिंदुस्तानी की जान नहीं गयी थी बल्कि गोडसे को ही सज़ा ए मौत मिली थी…. जबकि कश्मीर समस्या के कारण अबतक सेना के हज़ारों जवानों समेत 2 लाख हिंदुस्तानियों की जान जा चुकी है. 3 लाख कश्मीरी पण्डित बेघर हो चुके हैं…



अतः कांग्रेसी प्रवक्ताओं के देशभक्ति की चाशनी में डूबे आज के बयानों पर मुझे निकट अतीत के उनके देशघाती कुकर्मों की हज़ारों काली मक्खियां भिनभिनाती हुई नज़र आ रही हैं.