Tuesday, February 27, 2018

कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है। PART_4

सरकार के संरक्षण में स्वर्ण तस्करी की सनसनीखेज कहानी।

2011 में यूपी के गन्ना किसानों के नाम पर 200 करोड़ के बैंक घोटाले में पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद के नामजद होने की खबर से तो सारा देश परिचित हो चुका है।

3 दिन पूर्व वो सिफारिशी चिट्ठी भी देश के सामने उजागर हो चुकी है जो 16 मई 2014 को पी.चिदम्बरम ने तब लिखी थी जब चुनाव परिणाम आ चुके थे और यह तय हो गया था कि देश ने कांग्रेस को बहुत बेआबरू कर के सत्ता से बाहर कर दिया है और पी. चिदम्बरम को वैसी कोई चिट्ठी लिखने का नैतिक अधिकार ही नहीं है जिस चिट्ठी की सिफारिश पर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन द्वारा दिए गए आदेश से मेहुल चौकसी ने सरकार की तत्कालीन 80:20 स्कीम के तहत 400 किलो सोना आयात कर लिया था।

कुछ दिनों पूर्व ही यह खबर भी देश के सामने उजागर हो ही चुकी है कि...
2012 में मेहुल चौकसी ने बिना कोई कस्टम एक्साइज और इम्पोर्ट ड्यूटी चुकाए हुए ही 1103 किलो सोना आयात कर लिया था। लेकिन यह खबर अधूरी नहीं थी। बल्कि यह खबर वास्तविक खबर का मात्र डेढ़ दो प्रतिशत ही थी। वास्तविक खबर तो बहुत सनसनीखेज है जिसे देश का 99% मीडिया देश से छुपा गया। 16 फरवरी को केवल Economic Times ने यह खबर विस्तार से छापी थी। (खबर का लिंक https://m.economictimes.com/news/politics-and-nation/absconder-mehul-choksi-in-its-gold-probe-since-2012/articleshow/62948598.cms )
ह खबर बता रही थी कि मुम्बई कस्टम्स द्वारा RTI के तहत मांगी गई एक जानकारी के जवाब में बताया गया था कि वर्ष 2012 में सोना और हीरा बेंचने वाली लगभग 3 दर्जन कम्पनियों ने बिना कोई कस्टम या इम्पोर्ट ड्यूटी चुकाए हुए 75 हज़ार 765 किलो सोने (लगभग 22हज़ार 717 करोड़ रू मूल्य) का आयात किया था।
इन कम्पनियों ने किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं चुकाया था। ध्यान रहे कि 2012 में सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी 8% थी। अतः देश को कम से कम लगभग 1800 करोड़ रू का चूना लगा था। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती है। क्योंकि उसी RTI से यह भी जानकारी मिली थी कि सोना आयात करनेवाली यह कम्पनियां रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज और महाराष्ट्र सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में रजिस्टर्ड ही नहीं थीं।
अतः बिना रजिस्टर्ड हुए यह सोना बिना कोई टैक्स चुकाए आयात करनेवाली इन कम्पनियों ने निश्चित रूप से यह सोना बिना कोई सेल्स टैक्स या वैट चुकाए हुए ही ब्लैक मार्केट में बेंचा होगा। ब्लैक मार्केट में नम्बर दो में हुई इस बिक्री से हुई आय भी बिना कोई इनकम टैक्स चुकाए हुए ही कालेधन के रूप में उन कम्पनियों के पास ही रही।
1800 करोड़ की इम्पोर्ट ड्यूटी के  साथ ही साथ लगभग 22 हज़ार 724 करोड़ के सोने की बिक्री पर सरकार को नहीं मिले वैट और इनकम टैक्स की राशि यदि जोड़ ली जाए तो मामला हज़ारों करोड़ की टैक्स चोरी का नहीं बल्कि हज़ारों करोड़ की टैक्स लूट का हो जाएगा। कयोंकि यह टैक्स लूट चोरी छुपे नहीं हुई थी। जब मुम्बई कस्टम्स के रिकॉर्ड में यह जानकारी है तो इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि सरकार की जानकारी में ही देश को चूना लगाने का यह पूरा खेल हुआ था।
क्योंकि उसी RTI में पूछे गए इस सवाल कि उन तीन दर्जन कम्पनियों को बिना कोई ड्यूटी चुकाए सोना क्यों ले जाने दिया गया, किस के आदेश पर ले जाने दिया गया.? का कोई जवाब देने के बजाय मुम्बई कस्टम्स ने चुप्पी साधे रखी है। लेकिन यह जाहिर सी बात है कि 22 हज़ार 724 करोड़ मूल्य का 75हज़ार 765 किलो सोना बिना किसी ड्यूटी के ले जाने देने का आदेश देने की हैसियत या हिम्मत किसी कस्टम अधिकारी की नहीं हो सकती।
सही बात तो यह है कि किसी प्रकार की कोई ड्यूटी चुकाए बिना किया गया 75हज़ार 765 किलो सोने का उपरोक्त आयात सरेआम की गयी ऐसी स्वर्ण तस्करी थी जिसे सरकारी संरक्षण में अंजाम दिया गया था।
अतः अतः नीरव मोदी, मेहुल चौकसी के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आजकल भ्रष्टाचार का प्रतीक और पुतला बता रहे राहुल गांधी और पूरी कांग्रेसी फौज को देश को यह बताना चाहिए कि...
👉 मुम्बई कस्टम्स ने 75हज़ार 765 किलो सोने की तस्करी की छूट उन तीन दर्जन कम्पनियों को किस के कहने पर दी थी.?
👉मुम्बई कस्टम्स ने यदि यह छूट कांग्रेसी यूपीए सरकार के किसी दिग्गज मंत्री या मंत्रियों के आदेश के बगैर दी थी तो कांग्रेसी यूपीए की सरकार ने मुम्बई कस्टम्स के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की थी.?
👉क्या 2012(कांग्रेस यूपीए के शासनकाल) में सरेआम हुई 75हज़ार 765 किलो सोने की इस स्वर्ण तस्करी के लिए गुजरात का तत्कालीन मुख्यमंत्री जिम्मेदार था.?
👉क्या मई 2014 में मेहुल चौकसी को 400 किलो सोना आयात करने की सिफारिश चिट्ठी और आदेश पी. चिदम्बरम और रघुराम राजन की जोड़ी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के कहने पर दिया था.?
👉2011 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद को यूपी के गन्ना किसानों के नाम पर बैंकों से 200 करोड़ की ठगी करने की छूट और प्रेरणा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दी थी.?

यह👆सवाल बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार का प्रतीक और पुतला कांग्रेसी यूपीए सरकार थी या वर्तमान मोदी सरकार है.?
अतः देश को आज किसी राहुल गांधी के किसी कांग्रेसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।

अतः उपरोक्त👆तथ्यों को पढ़ने जानने के बाद अब यह फैसला आप करें कि...
कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है या नहीं.?
कल इस पोस्ट के #PART_5 में ऐसा ही एक और उदाहरण।

कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है। PART_3

वर्ष 2012, यानि कांग्रेसी यूपीए का शासनकाल। इसी वर्ष 2012 की शुरुआत में जतिन मेहता ने यूपीए शासनकाल के दौरान प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के 13 बैंकों से 7 हजार करोड़ रुपये कर्ज के रूप में लिये, जबकि इसके एवज में उसने कोई भी ठोस संपत्ति एक्सचेंज के रूप में ऑफर नहीं की। पनामा पेपर्स के मुताबिक जतिन मेहता ने बैंकों से कर्ज ली गई राशि को बहामास में निवेश किया है।
मोदी सरकार आने के बाद कर्ज़ वसूली के लिए जब जतिन मेहता की तलाश शुरू हुई तो पता चला कि 2012 से ही भारत में उसका कोई अता पता नहीं है। बैंकों के लगभग 7000 करोड़ रूपये हड़प चुका जतिन मेहता तो 2012 (कांग्रेसी यूपीए के शासनकाल) में ही भारत छोड़कर भाग गया था और उसने 2013 में ही अपनी पत्नी समेत उस सेंट किट्स देश की नागरिकता ग्रहण कर ली थी, जिसके साथ भारत की किसी भी तरह की कोई प्रत्यर्पण सन्धि नहीं है। अर्थात उसको वहां से भारत नहीं लाया जा सकता। भारत के बैंकों से लूटी गयी रकम उसने 2012 और 2013 में ही टेक्स हैवन कहे जाने वाले बहामास में ट्रांसफर कर ली थी। आजकल सेंट किट्स के नागरिक के रूप में जतिन मेहता और उसकी पत्नी दुबई को अपना ठिकाना बनाये हुए हैं(पूरी खबर का लिंक ( https://aajtak.intoday.in/story/winsome-promoter-jatin-mehta-did-scam-through-pnb-is-adani-relative-tst-1-984451.html) भारतीय बैंकों से लूटी गई रकम से वहां चोखा धन्धा कर रहे हैं। भारतीय एजेंसियां उसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकतीं।
भारत मे उसकी ऐसी कोई विशेष सम्पत्ति अब शेष नहीं है जिसे जब्त कर 7000 करोड़ वसूले जा सकें। जब्ती की कार्रवाई में उसकी केवल 172 करोड़ की सम्पत्ति एजेंसियों के हाथ लगी है।
2012 में बैंकों से 7 हज़ार करोड़ का कर्ज लेकर 2012 में ही देश से भाग जाने का घटनाक्रम इसबात की गवाही देता है कि जतिन मेहता ने बैंकों का पैसा लूटने के लिए ही कर्ज़ लिया था।

ज्ञात रहे कि बैंकों का हज़ारों करोड़ का कर्ज लेकर फरार हुए उद्योपतियों का सच आजकल लगातार उजागर होने के साथ ही राहुल गांधी ने इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संचालित "जनधन लूट योजना" बताया है।
वास्तव में ऐसी घटनाएं सरकारी संरक्षण और समर्थन और सहयोग से हुई #जनधन की सनसनीखेज लूट ही हैं। हमको आपको सबको यह जानना बहुत जरूरी है कि जनधन की यह सनसनीखेज लूट किस सरकार के संरक्षण समर्थन और सहयोग से अंजाम दी गयी.?
#PART_1 में सेठ द्वारकादास ज्वैलर्स तथा #PART_2 में एल.राजगोपाल द्वारा हड़पे गए बैंक के 36 हज़ार करोड़ की कहानी पढ़ने के पश्चात आज इस #PART_3 में बैंकों का 7 हज़ार करोड़ रूपया लूटने वाले उद्योगपति जतिन मेहता की कहानी भी आपने पढ़ ली।

अतः राहुल गांधी और कांग्रेसी फौज को हमसे, आपसे पूरे देश से बताना चाहिए कि...
👉 ऐसे जालसाज़ लुटेरे जतिन मेहता द्वारा कांग्रेसी यूपीए के शासनकाल में 2012 में की गयी 7 हज़ार करोड़ रूपयों के जनधन की यह सनसनीखेज बैंक लूट को मई 2014 में सत्ता में आयी मोदी सरकार ने अपना संरक्षण समर्थन और सहयोग दिया था या तत्कालीन कांग्रेसी यूपीए की सरकार ने.?

👉2012 (कांग्रेसी यूपीए के शासनकाल) में जतिन मेहता से बिना किसी ठोस सम्पत्ति की जमानत लिए हुए ही जतिन मेहता को हज़ारों करोड़ का कर्ज देने का आदेश सरकारी बैंकों को किसने दिया था.?
👉क्या👆यह आदेश गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया था.?
2012-13 (कांग्रेसी यूपीए के शासनकाल) में जतिन मेहता को सरकारी बैंकों का 7000 करोड़ लूटकर, लूटी गयी रकम बहामास पहुंचा कर भारत से भाग जाने की छूट किसने दी थी.?
👉क्या उसे यह👆छूट गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दी थी.?

यह👆सवाल बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार का प्रतीक और पुतला कांग्रेसी यूपीए सरकार थी या वर्तमान मोदी सरकार है.?
अतः उपरोक्त👆तथ्यों को पढ़ने जानने के बाद अब यह फैसला आप करें कि...
कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है या नहीं.?
कल इस पोस्ट के #PART_4 में ऐसा ही एक और सनसनीखेज उदाहरण।
26/2

कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है। PART_2

जरा याद करिए 13 फरवरी 2014 का वो दिन जब कांग्रेस सांसद एल. राजगोपाल ने संसद में स्प्रे से मिर्च पाऊडर उड़ाकर सनसनी फैला दी थी। उसकी इस करतूत से तत्कालीन यूपीए सरकार के राज्यमंत्री बलराम नायक तथा तीन अन्य सांसद घायल होकर अस्पताल पहुंच गए थे। दरअसल उस दिन संसद के भीतर स्प्रे से मिर्च पाऊडर उड़ाकर देश की संसद की आंखों में मिर्च झोंकने की कोशिश करनेवाला वह कांग्रेसी सांसद 13 फरवरी 2014 के उस दिन से पहले तक देश की तत्कालीन यूपीए सरकार के संरक्षण में देश की आंखों में मिर्ची झोंक कर देश को 36 हज़ार करोड़ रू का चूना लगा चुका था। जानिए कैसे...
2009 में आंध्रप्रदेश की विजयवाड़ा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद सदस्य बना एल. राजगोपाल पूर्व कांग्रेसी सांसद पी. उपेन्द्र का दामाद भी है और अपने भाई एल.मधुसूदन राव के साथ साझेदारी में "लैंको इंफ्राटेक लिमिटेड" नाम की कम्पनी का मालिक भी है। वित्तीय वर्ष 2006 की समाप्ति पर उसकी कम्पनी "लैंको इंफ्राटेक लिमिटेड" पर 139 करोड़ रूपये का कर्ज था। और उसकी कम्पनी की Net Worth (कुल मूल्य) 95 करोड़ रुपये ही थी। तथा कुल चल अचल सम्पत्ति लगभग 396 करोड़ रुपये थी। 
2006 से 2014 के मध्य, 8 वर्ष की अवधि में कांग्रेसी सांसद एल. राजगोपाल की कम्पनी "लैंको इंफ्राटेक लिमिटेड" पर सरकारी बैंकों के कर्ज की ऐसी कृपा बरसी की वित्तीय वर्ष 2013-14 की समाप्ति पर "लैंको इंफ्राटेक लिमिटेड" पर 36 हज़ार 705 करोड़ रूपये का कर्ज़ चढ़ चुका था। जबकि मार्च 2014 में उसकी Net Worth (कुल मूल्य) मात्र 1457 करोड़ रूपये थी। लेकिन कुल चल अचल संपत्ति 396 करोड़ से बढ़कर 50 हज़ार 633 करोड़ हो गयी थी।
मार्च 2014 से मार्च 2017 के बीच लैंको इंफ्राटेक द्वारा कर्ज़ का ब्याज भी नहीं चुकाए जाने के कारण उसका कर्ज़ बढ़कर 47 हज़ार 910 करोड़रूपये हो चुका है। कम्पनी की Net Worth (कुल मूल्य) शून्य से भी नीचे जाकर ऋणात्मक हो गयी है और (-)2074 करोड़ हो चुकी है। अर्थात बैंकों के कर्ज समेत उसकी देनदारियां उसकी कुल चल अचल संपत्ति 55 हज़ार करोड़ से भी 2074 करोड़ रू अधिक हो चुकी है। कम्पनी अब दीवालिया घोषित होने की कगार पर है। दिसम्बर 2017 से यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है(खबर का लिंक https://m.jagran.com/business/biz-lanco-infratech-is-first-to-face-bankruptcy-action-16231054.html ) इसका सीधा अर्थ यह है कि बैंकों का पैसा डूबने का खतरा उतपन्न हो गया है। यह स्थिति आज नहीं हुई है। मई 2014 में यूपीए की सत्ता से विदाई के साथ ही वित्तीय वर्ष 2014-15 की समाप्ति पर मार्च 2015 में कांग्रेसी सांसद  एल.राजगोपाल की कम्पनी "लैंको इंफ्राटेक लिमिटेड" की Net Worth (कुल मूल्य) घटकर ऋणात्मक हो चुकी थी और (-)447 करोड़ रुपये हो गयी थी। यह स्थिति बताती है कि कांग्रेसी सांसद एल.राजगोपाल की कम्पनी लैंको इंफ्राटेक बैंकों से कर्ज लेकर उसे चुकाने के बजाय उस पैसे से सम्पत्तियां खरीद रही थी। मार्च 2014 तक बैंकों का 36 हज़ार करोड़ रूपए से अधिक हजम कर चुकी कांग्रेसी सांसद की कम्पनी की Net Worth केंद्र में मोदी सरकार के आते ही ऋणात्मक कैसे हो गयी.?
उसने मार्च 2006 से मार्च 2014 के बीच बैंकों का कर्ज तो नहीं चुकाया और कर्ज 139 करोड़ से बढ़कर 36 हज़ार करोड़ हो गया। उल्लेखनीय यह है कि लैंको इंफ्राटेक का कर्ज़ जितनी तेजी से बढ़ रहा था उससे ज्यादा तेजी से उसकी सम्पत्ति भी बढ़ रही थी। मतलब ये कि एल.राजगोपाल कांग्रेसी यूपीए के शासन में "कर्जा लेकर घी पीने" की कहावत चरितार्थ कर रहा था।
ध्यान रहे कि मामा भांजे की जोड़ी मेहुल चौकसी, नीरव मोदी द्वारा बैंकों का लगभग 11 हज़ार करोड़ का कर्ज़ नहीं चुकाए जाने पर उनकी लगभग 8 हज़ार करोड़ की सम्पत्ति अबतक जब्त कर चुकी है मोदीं सरकार और तूफानी गति से दोनों की सम्पत्ति की जब्ती की उसकी कार्रवाई अभी जारी है जो 11 हज़ार करोड़ के पार बहुत जल्दी पहुंच जाएगी।
अतः नीरव मोदी, मेहुल चौकसी के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आजकल भ्रष्टाचार का प्रतीक और पुतला बता रहे राहुल गांधी और पूरी कांग्रेसी फौज को देश को यह बताना चाहिए कि 2006 में मात्र 95 करोड़ की हैसियत वाली कांग्रेसी सांसद की कम्पनी लैंको इंफ्राटेक को सरकारी बैंकों ने औसतन साढ़े 4 हज़ार करोड़ रूपये प्रतिवर्ष की रफ्तार से कर्ज क्यों दिया था.? किस के कहने पर दिया था.? किस की सिफारिश पर दिया था.?
क्या कांग्रेसी यूपीए के शासन में सरकारी बैंक नियमों कानूनों की धज्जियां उड़ाकर एक कांग्रेसी सांसद को प्रतिवर्ष हज़ारों करोड़ का कर्ज़ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के कहने पर दे रहे थे.?
मार्च 2006 से मार्च 2014 तक 135 करोड़ से बढ़कर 36 हज़ार करोड़ तक पहुंचे लैंको इंफ्राटेक के कर्ज की वसूली के लिए कांग्रेसी यूपीए की सरकार ने क्या किया था.?
यहां उल्लेख आवश्यक है कि केन्द्र में मोदी सरकार बनते ही लैंको इंफ्राटेक पर कर्ज चुकाने के दबाव इतना बढ़ा दिया गया था कि कर्ज़ चुकाने के लिए उसको अपनी सम्पत्तियां बेंचने को विवश होना पड़ा है(खबर का लिंक http://www.livemint.com/Companies/V1O2MhwS3A1RyoQuemnLLM/Lanco-Infratech-eyes-Rs25000-crore-by-selling-assets-from-F.html ) अतः देश को आज किसी राहुल गांधी के किसी कांग्रेसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं क्योंकि यह👆सवाल बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार का प्रतीक और पुतला कांग्रेसी यूपीए सरकार थी या वर्तमान मोदी सरकार है.?

अतः उपरोक्त👆तथ्यों को पढ़ने जानने के बाद अब यह फैसला आप करें कि...
कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है या नहीं.?
कल इस पोस्ट के #PART_3 में ऐसा ही एक और उदाहरण।
25/2

कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है। PART_1

आज दिल्ली के सेठ द्वारका दास ज्वैलर्स के खिलाफ
389 करोड़ की बैंक जालसाज़ी का केस दर्ज कर शुरू की गई CBI कार्रवाई के साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी बुरी तरह बिफर गया। नरेन्द्र मोदी को इस बैंक घोटाले का जिम्मेदार बता डाला, और उनपर अनेक अनापशनाप आरोपों की गजब बौछार करते हुए राहुल गांधी ने यह सियासी फतवा तक जारी कर दिया कि मोदी सरकार में रोज बैंक घोटाले हो रहे हैं।
क्योंकि शब्दों और भाषा की मर्यादा के बन्धनों के कारण विवश हूं इसलिए राहुल गांधी के उपरोक्त आरोपों/टिप्पणियों को केवल #निर्लज्जता #धूर्तता मात्र लिख कर परिभाषित कर रहा हूं। वास्तविकता में तो ऐसे आचरण के मायने निर्लज्जता और धूर्तता के मायने से कोसों आगे होते हैं।
अब जानिए कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं.? आज जिस सेठ द्वारका दास ज्वैलर्स के खिलाफ 389 करोड़ के बैंक घपले की कार्रवाई CBI द्वारा शुरू की गयी है। वह घपला यह है कि वर्ष 2007 से वर्ष 2012 के बीच सेठ द्वारका दास ज्वैलर्स को बिना किसी जमानत के 389 करोड़ का कर्ज OBC बैंक ने दे दिया था।
389 करोड़ कर्ज़ की यह रकम 5 वर्षों के दौरान ली गयी। मतलब यह कि सेठ द्वारकादास पिछला कर्ज़ चुका नहीं रहा था लेकिन बैंक उसे बिना जमानत और ज्यादा कर्ज़ देता जा रहा था। RBI की 90 दिन समयावधि की गाइडलाइंस के अनुसार सेठ द्वारकादास के खिलाफ NPA की कार्रवाई तो 2007 या फिर 2008 में ही शुरू हो जानी चाहिए थी, जो 2014 तक चले यूपीए शासन के दौरान कभी हुई ही नहीं। सेठ द्वारकादास पर बैंक की यह सरकारी कृपा क्यों और किसकी सिफारिश पर हुई थी.?
राहुल गांधी क्या देश को यह बताएगा कि कांग्रेसी यूपीए के शासनकाल में एक सरकारी बैंक ने सेठ द्वारकादास ज्वैलर्स पर यह मेहरबानी क्या नरेन्द्र मोदी के कहने पर, नरेन्द्र मोदी की सिफारिश पर की थी.?
कांग्रेसी यूपीए शासन के दौरान 2007 से 2014 तक बैंक से कर्ज ली गयी रकम हवालाबाजी के जरिये दुबई पहुंचाने वाले सेठ द्वारकादास  ज्वैलर्स के खिलाफ उस समय कार्रवाई कर उसको रोकने की जिम्मेदारी कांग्रेसी यूपीए सरकार की थी.? या गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की.?
उपरोक्त तथ्यों को पढ़ने जानने के बाद अब यह फैसला आप करें कि...
कांग्रेसी निर्लज्जता धूर्तता बेमिसाल है या नहीं.?
कल इस पोस्ट के #PART_2 में ऐसा ही एक और उदाहरण।
सेठ द्वारकादास बैंक घोटाले की तिथिवार विस्तृत जानकारी की खबर का लिंक पहले कमेन्ट में।
24/2

बाबा तुम बौराओ मत (अन्तिम) PART_3

रामदेव का विचित्र विरोधाभाषी राष्ट्रवाद...
वर्ष 2004 की रामनवमी के दिन उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार में स्थित अपनी पतंजलि योग पीठ का शिलान्यास रामदेव ने किसी योगाचार्य या आयुर्वेदाचार्य से नहीं करवाया था। रामदेव ने योगपीठ का शिलान्यास उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री या राज्यपाल से भी नहीं करवाया था। रामदेव ने योगपीठ का शिलान्यास किसी केंद्रीय मंत्री से भी नहीं करवाया था। इसके बजाय रामदेव ने पतंजलि योगपीठ का शिलान्यास उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से करवाया था। याद रहे कि यह वही दौर था जब केंद्र की अटल सरकार द्वारा आतंकवादी संगठन #सिमी को प्रतिबंधित किये जाने का प्रचण्ड विरोध मुलायम सिंह यादव यह कहते हुए कर रहे थे कि #सिमी पर प्रतिबंध सरासर गलत है, क्योंकि #सिमी कोई आतंकवादी संगठन नहीं है। इसके बजाय #सिमी एक सामाजिक सांस्कृतिक संगठन है।
दिसम्बर 2016 में पतंजलि की क्रीम से लालू प्रसाद यादव के गाल अपने हाथों से चमकाने के बाद रामदेव ने कहा था कि "लालू प्रसाद यादव देश की अमूल्य सामाजिक, राजनीतिक धरोहर हैं। देश को उनकी सेवाओं की बहुत जरूरत है, देश की राजनीति के लिए उनका स्वस्थ रहना आवश्यक है"। ध्यान रहे कि रामदेव जब अपने उपरोक्त ईश्वरीय वचनों से लालू प्रसाद यादव का गुणगान कर रहे थे तबतक चारा घोटाले के आधा दर्जन से ज्यादा मामलों में लालू की कई जेल यात्राएं सम्पन्न हो चुकी थीं। जिनमें से एक केस में 3 अक्टूबर 2013 को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने 5 साल की कैद और 25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुना चुकी थी। अबतक 2 अन्य मामलों में भी सज़ा भी सुनाई जा चुकी है।
"ममता बनर्जी को देश का प्रधानमंत्री बनने योग्य होने का सर्टिफिकेट रामदेव 2 साल पहले ही जारी कर चुके हैं।
सबसे खास बात यह है कि जिन तीन नेताओं का जिक्र ऊपर किया गया है उन तीनों नेताओं का वन्देमातरम तथा भारतमाता की जय सरीखे नारों पर विचार क्या है, यह किसी से भी छुपा नहीं है।

किसी व्यवसायिक व्यक्ति का राष्ट्रवाद क्या और कैसा होना चाहिए यह अक्षयकुमार ने दिखाया है। बीती 12 जनवरी को अपने एक शो से हुई 13 करोड़ रुपये की पूरी कमाई अक्षयकुमार ने सुरक्षाबलों के शहीद जवानों के लिए बनी वेबसाइट भारत के वीर को दान कर दी थी। करोड़ों की लागत से बनी उस वेबसाईट का पूरा खर्च भी अक्षयकुमार ने सरकार को स्वयं दिया था।
उस वेबसाईट के माध्यम से पिछले 10 महीनों में अक्षयकुमार लगभग 60 करोड़ रूपये एकत्र कर सुरक्षाबलों के लगभग 375 शहीद जवानों के परिजनों में से प्रत्येक शहीद जवान के परिजनों को 15 लाख रू की आर्थिक मदद पहुंचा चुके हैं। लेकिन इसके लिए ढिंढोरा पीटकर अक्षयकुमार यह मांग नहीं करते कि क्योंकि मैं देशभक्त हूं इसलिए केवल हमारी फिल्में ही देखो।
याद रहे कि रामदेव और अक्षयकुमार की आर्थिक हैसियत में जमीन आसमान का अन्तर है। लेकिन रामदेव ने आजतक क्या ठोस किया यह नहीं बताया। हां इस शर्त के साथ कि अगर मेरा साबुन तेल मंजन हल्दी धनिया मिर्चा खरीदोगे तो ये करूंगा, कहते हुए जरूर सुना है।
बात बहुत लंबी हो जाएगी इसलिए बस यह कहते हुए विराम कि रामदेव बौराओ मत और राष्ट्रवाद का धंधा मत करो। आटा दाल चावल हल्दी मिर्चा धनिया बेंचने का धंधा अगर कर रहे हो तो खुलकर कहो कि हां मैं धन्धा करने वाला धंधेबाज हूं।
23/2

बाबा तुम बौराओ मत। PART_2

अपने साबुन तेल मंजन और अन्य उत्पादों की बिक्री के प्रचार के लिए बाबा द्वारा ब्रह्मास्त्र की तरह जिस पंच लाइन का धुआंधार इस्तेमाल किया जाता है, वह पंच लाइन है कि... "विदेशी कंपनियां देश को लूट रही हैं..." आदि आदि...
इसतरह कड़ी प्रतिस्पर्धा की दौड़ से गुणवत्ता के बजाय राष्ट्रवाद को हथकण्डा बनाकर विदेशी कम्पनियों को बाहर करने की शातिर कोशिश बाबा द्वारा की जाती है।
देशी कम्पनियों को प्रतिस्पर्धा से बाहर करने के लिए बाबा द्वारा इस्तेमाल किये जानेवाले प्रचार ब्रह्मास्त्र की पंच लाइन है... "दूसरी कम्पनियां नकली माल बेचकर आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं..."

आइए जरा देखें जांचें कि बाबा की बात में कितनी ईमानदारी है और कितना दम है।

पहले बात विदेशी कम्पनियों की।
वित्तीय वर्ष 2016-17 से सम्बंधित टाटा ग्रुप द्वारा जारी की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 6 महाद्वीपों के 150 से अधिक देशों में अपनी व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन से टाटा ग्रुप ने लगभग 64.40 अरब डॉलर (लगभग 4 लाख 17हज़ार 440 करोड़ रुपये) का राजस्व अर्जित किया था।
इसीतरह विदेशों से लगभग सवा तीन लाख करोड़ का राजस्व अर्जित कर टाटा के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज दूसरे नम्बर पर रही।
इनके अतिरिक्त इन्फोसिस महेन्द्रा समेत छोटी बड़ी 100 से अधिक ऐसी भारतीय कम्पनियां हैं जो दुनिया भर के विदेशी बाजारों में धूम मचा रही हैं और लाखों करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित कर भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या और कैसी संजीवनी देती हैं यह आसानी से समझा जा सकता है। इनके अतिरिक्त भारत में कार्यरत सैकड़ों भारतीय आईटी कंपनियों का व्यवसाय विदेशी कम्पनियों के सहारे ही चलता है।
अतः रामदेव की कसौटी के अनुसार क्या यह मान लिया जाए कि टाटा, रिलायंस समेत यह सभी कम्पनियां क्या दुनिया भर के देशों में वहां के लोगों को लूटने का कारोबार कर रही हैं.? टाटा ग्रुप क्या अंतरराष्ट्रीय लूट का धंधा करनेवाला लुटेरा बिजनेस ग्रुप है.? 
उपरोक्त सवालों के अतिरिक्त एक और तथ्य बाबा को समझना होगा। 1980 के बाद देश के ऑटोमोबाइल बाजार में विदेशी कम्पनियों का प्रवेश तेज़ी के साथ होने लगा था। 1991 के उदारीकरण के दौर की शुरुआत के साथ इसकी बाढ़ सी आ गयी थी। लेकिन 1980 के बाद पिछले 37 वर्षों में ट्रक ट्रेक्टर कार मोटरसाइकिल बनाने वॉली दुनिया की हर बड़ी कम्पनी भारत आयी लेकिन आज भी महेन्द्रा के ट्रेक्टर और जीप तथा टाटा के ट्रक/बस और कारों का वर्चस्व ज्यों का त्यों बना हुआ है। मारुति भी इसी श्रेणी में आती है। इनको टक्कर देने भारत आईं कई विदेशी कम्पनियों को अपना बोरिया बिस्तर बांधकर वापस जाना पड़ा है। किन्तु अपनी इस सफलता के लिए टाटा, मारुति और महिन्द्रा के मालिकों को आजतक यह प्रचार करते हुए कभी नहीं देखा कि विदेशी कंपनियां देश को लूट रही हैं इसलिए केवल हमारे ट्रक ट्रैक्टर बस कार ही खरीदें। महानगरों से लेकर गांव की धूल भरी कच्ची सड़कों तक महिन्द्रा की स्कॉर्पियो और टाटा की सफारी का जलवा बरकरार है। TVS हीरो और बजाज की मोटरसाइकिलों की आज भी धूम है। सिएट जेके और एमआरएफ के टायरों ने अपनी गुणवत्ता से विदेशी टायर कम्पनियों की पैरों तले की जमीन इतनी गर्म कर दी कि वो टिक नहीं पायीं।
यही नहीं छोटे स्तर पर थोड़ी देर से सक्रिय हुए हल्दीराम और बीकानेर के फ़ूड जॉइंट्स ने बहुत कम समय मे मैकडोनाल्ड सरीखों के छक्के छुड़ा दिए हैं।
स्थानीय स्तर पर MDH मसाले वाले बुजुर्ग भी अपने उत्पादों की गुणवत्ता की प्रशंसा और प्रचार स्वयं ही करते हैं लेकिन कभी यह नहीं कहते कि बाकी और कम्पनियां नकली माल बेचकर आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं इसलिए केवल हमारे मसाले ही खरीदें।

वैसे तो इस सम्बन्ध में लिखने कहने को बहुत कुछ है लेकिन फिलहाल मैं समझता हूं कि मेरा इतना ही कहना पर्याप्त है। मेरे उपरोक्त सवाल ही बाबा के विदेशी राग को तार तार कर देते हैं। 
बाबा को यह भी याद दिलाना जरूरी है कि 5-7 हज़ार के अपने वार्षिक टर्नओवर पर मुदित होकर बाबा जिस यूनीलीवर को हटाने मिटाने का दावा लगातार कर रहे हैं, उस यूनीलीवर का पिछले वर्ष का केवल वार्षिक प्रचार बजट ही 54 हज़ार करोड़ था।😊

बाबा को यह ध्यान रखना होगा कि वन्देमातरम, भारत माता की जय का नारा भगतसिंह चन्द्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्लाह खान ने देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ते हुए फांसी का फंदा चूमते समय लगाया था। उन अजर अमर बलिदानियों ने तेल साबुन मंजन अचार आटा बेंचने का धंधा करने के लिए उपरोक्त पूजनीय नारों का उपयोग कर के राष्ट्रवाद को चौराहे पर नीलाम करने का कुकर्म नहीं किया था। अतः उपरोक्त नारों की आड़ लेकर अपना तेल साबुन मंजन अचार बेंचने की बाबा की कोशिशें/हथकण्डे घृणित हैं, शातिर हैं, सतही हैं, सस्ती हैं और फूहड़ भी हैं।
अन्त में यह उल्लेख भी बहुत जरूरी है कि 32 रू किलो के पतंजलि के आटे से 23 रू किलो वाला वह आटा बहुत बेहतर है जो बनिया बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के मेरे घर पर डोर डिलीवरी कर के पहुंचा जाता है। दोनों आटे का उपयोग करने के बाद ही मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं। अतः बाबा यह पाखण्ड भी करना बंद कर दें कि पतंजलि गरीबों के लिए सस्ता अनाज बेचती है।

बाबा के उपरोक्त बाजारू राष्ट्रवाद के बाद अगली और अन्तिम पोस्ट में बाबा के विशुद्ध राष्ट्रवाद का विश्लेषण कल।
22/2