Sunday, March 25, 2018

कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष देश के साथ कितना बड़ा झूठ बोल रहा है.?


मोदी सरकार बनने के बाद से कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष का सबसे तीखा और बड़ा आरोप यही है कि इस सरकार में नौकरियां खत्म हो गयीं और नौजवान बेरोजगार भटक रहे हैं। विपक्ष के इस आरोप की पड़ताल से पहले एक तथ्य से परिचित होना अत्यन्त आवश्यक है। कि वर्ष 1999-2000 में जब अटल जी की सरकार थी तब देश में Employed Worker की संख्या लगभग 3 करोड़ 98 लाख थी। और वर्ष 2004-05 में यह संख्या लगभग 4 करोड़ 58 लाख हो चुकी थी। 5 वर्षों में लगभग 60 लाख नयी नौकरियां मिली थीं। लेकिन 2004-05 से 2011-12 तक की 7 वर्ष की समयावधि में यह संख्या 4 करोड़ 58 लाख से बढ़कर लगभग 4 करोड़ 73 लाख ही पहुँच सकी थी। अर्थात अटल जी के 5 वर्षों के शासनकाल में 60 लाख नौकरियों की तुलना में यूपीए के 7 वर्षों के शासनकाल में कुल 15 लाख नयी नौकरियां देश में सृजित हुई थीं। यह आंकड़ें RSS या BJP ने नहीं बल्कि जनवरी 2014 में यूपीए शासनकाल के दौरान ही सरकारी सर्वे एजेंसी NSSO ने जारी किए थे। (खबर का लिंक https://m.economictimes.com/jobs/17-million-formal-sector-jobs-created-by-upa-govt-offers-no-employment-benefits/articleshow/28857695.cms )। उल्लेखनीय यह भी है कि यह उस यूपीए शासन के आंकड़ें हैं जिसमें केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि वो सपा बसपा राजद और TMC भी बराबर के भागीदार थे जो आजकल रोजगार के नाम पर मोदी सरकार के खिलाफ जमकर छाती कूट रहे हैं। तथा यह यूपीए शासनकाल के उन 7 वर्षों के आंकड़ें हैं जिन 7 वर्षों को उसका स्वर्णिम काल कहा जाता है।
लेकिन अटल जी की सरकार के खिलाफ भी उस दौर में आज की तरह ही मीडिया में हाहाकार मचा रहा था कि देश से नौकरियां खत्म हो गईं हैं। बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ गयी है। जबकि यूपीए शासनकाल के जमकर गुण गाये गए थे, आज भी गाए जाते हैं खासकर नौकरियों के सम्बन्ध में।
NSSO चूंकि हर 5-6 वर्ष की अपनी रिपोर्ट जारी करता है अतः इस वर्ष जुलाई के आसपास नीति आयोग पिछले 5 वर्षों 2012-13 से अबतक की रिपोर्ट जारी करेगा। लेकिन रोजगार की स्थिति से सम्बंधित यूपीए शासनकाल से तुलना के लिए एक ही उदाहरण पर्याप्त होगा कि केवल पिछले वर्ष ही EPF में 70 लाख नए कर्मचारी सदस्य बने हैं। यह आंकड़ें तो संगठित क्षेत्र में नौकरियों की स्थिति से सम्बन्धित यूपीए और मोदी सरकार के मध्य के अन्तर को दर्शा ही रहे हैं। लेकिन असंगठित क्षेत्र में दोनों सरकारों के शासनकाल में भारी अन्तर केवल इस एक उदाहरण से स्पष्ट हो जाता है।
इस सन्दर्भ में किसी ऐरे गैरे NGO या फिर स्वयं अपनी पीठ थपथपाती किसी सरकारी रिपोर्ट के बजाय जब वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज़्म काउंसिल (WTTC) की रिपोर्ट मैंने पढ़ी तो मैं चौंक गया। ज्ञात रहे कि पूरी दुनिया के उद्योग जगत द्वारा यात्रा एवं पर्यटन उद्योग से सम्बंधित WTTC के आंकड़ों को एकमत से स्वीकारा और सराहा जाता है। इसी WTTC द्वारा वर्ष 2015 और 2016 से सम्बंधित भारतीय यात्रा एवं पर्यटन उद्योग की रिपोर्टों के अनुसार 2015 में भारत में इस उद्योग में लगभग 3 करोड़ 70 लाख नौकरियां थी जबकि 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 4 करोड़ 30 लाख हो गया था। यानि एक वर्ष में ही लगभग 60 नौकरियां बढ़ीं थीं। (रिपोर्ट का लिंक https://www.wttc.org/media-centre/press-releases/press-releases/2017/indias-is-the-worlds-7th-largest-tourism-economy-in-terms-of-gdp-says-wttc/ ) वर्ष 2017 के आंकड़ें अभी आने हैं। यात्रा एवं पर्यटन उद्योग में यह जादू अनायास नहीं हुआ था। 3 करोड़ 70 लाख नौकरियों का आंकड़ा यूपीए काल से चल रहा था। इसे बदलने के लिए मोदी सरकार द्वारा किये गए प्रयासों का ही परिणाम था कि वर्ष 2013 से सम्बन्धित World Economic Forum की Travel and Tourism Competitiveness Index (TTCI) सूची में भारत 65वें स्थान से 25 स्थानों की छलांग लगाकर 2017 में 40वें स्थान पर पहुंच चुका है। (खबर का लिंक https://currentaffairs.gktoday.in/india-ranks-40-wefs-2017-travel-tourism-competitiveness-index-04201743495.html ) 2016 में बढ़ी नौकरियों का आंकड़ा इसी का परिणाम है। WTTC और WEF, दोनों ने ही यात्रा एवं पर्यटन उद्योग के आधारभूत ढांचे और नीति नियमों में क्रांतिकारी बदलाव के लिए मोदी सरकार की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए यह आशा व्यक्त की है कि यदि यही गति रही तो भारत का यात्रा एवं पर्यटन उद्योग बहुत तेज़ी से आगे बढ़ता जाएगा तथा रोजगार की अपार संभावनाओं के द्वार खोल देगा।
अतः रोजगार के मुद्दे मोदी सरकार के खिलाफ जमकर आग उगल रहे कांग्रेस और सपा बसपा राजद TMC सरीखे उसके पिछलग्गू दल देश से तो सरासर झूठ बोल ही रहे हैं, साथ ही साथ अपने इस झूठ से देश के नौजवानों के साथ धोखा कर के उनके मन मस्तिष्क में निराशा और नकारात्मकता का विष भी घोल रहे हैं। अतः आवश्यकता है ऐसे लोगों से सावधान रहने की, नौ जवानों को सावधान करने की। क्योंकि अटल जी ऐसे दुष्प्रचार का ही शिकार हो गए थे।
इस मुद्दे पर अभी बहुत तथ्य हैं लिखने के लिए। पोस्ट लम्बी हो गयी है इसीलिए यहीं खत्म कर रहा हूं। अगली कुछ पोस्टों में उन तथ्यों का भी उल्लेख करता रहूंगा।