Sunday, July 17, 2016

मंदसौर बंद : 13 सालों से सत्ता पर काबिज़ भाजपा सरकार के मुंह पर ज़ोरदार थप्पड़

मंदसौर बंद की घटना हर्ष और गर्व के बजाय शोक और शर्म का विषय है. मंदसौर बंद की घटना मप्र की भाजपा सरकार के मुंह पर जोरदार थप्पड़ सरीखी है.

ईद के मौके पर मध्यप्रदेश का मंदसौर दो दिन पूरी तरह बंद रहा. इस बात पर सोशल मीडिया में बड़ी जोरशोर से ख़ुशी मनायी जा रही है, इसे ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. मंदसौर बंद का कारण यह बताया जा रहा है कि, ‘शब-ए-बारात’ के दिन मुस्लिम गुंडों ने शहर में पूरी रात जमकर हिंसक उपद्रव किया था. हिन्दुओं के सैकड़ों घरों पर खुलकर पथराव किया था, उनके खिड़की दरवाज़े और घरों के बाहर खड़ी गाड़ियां तोड़ी थीं. पुलिस में शिकायत के बाद भी उन मुस्लिम गुंडों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने के विरोध में मंदसौर की जनता को अंततः यह कदम उठाना पड़ा.

मंदसौर की घटना किसी हर्ष या गर्व की नहीं बल्कि शोक और शर्म का विषय है क्योंकि मंदसौर शहर पकिस्तान, बांग्लादेश में नहीं बल्कि भारत में है.
मंदसौर शहर जम्मू-कश्मीर, केरल या पश्चिम बंगाल में नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में हैं.
मध्यप्रदेश में पिछले 13 वर्षों से मुस्लिम लीग, कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस, सपा या बसपा की नहीं बल्कि ‘राष्ट्रवादी…!!!’ भाजपा की प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार है.
इसके बावजूद मंदसौर में मुस्लिम गुंडे खुलेआम रातभर हिन्दुओं पर कहर बरपाते हैं और पुलिस हिन्दुओं का करूण क्रंदन नहीं सुनती. उन्हें आक्रान्त और आतंकित करने वाले मुस्लिम गुंडों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करके उनके हौंसले बुलंद करती है.
अतः मंदसौर के हिन्दू मजबूर होकर यह कदम उठाते हैं. मंदसौर की बंद पर सोशल मीडिया में मन रहा जश्न और उत्सव मंदसौर के हिन्दुओं के जख्मों पर नमक की तरह है.

किसी शहर का बंद केवल मौखिक लफ़्फ़ाज़ी का नाम नहीं है.छोटे बड़े हर दुकानदार ने उसके लिए अपनी दो दिन की कमाई की आहुति इसलिए दी क्योंकि बेख़ौफ़ बर्बर मुस्लिम गुंडों से उनकी रक्षा करने के बजाय, उन मुस्लिम गुंडों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करके, सरकार उन मुस्लिम गुंडों के पक्ष में खड़ी दिखाई दी.
मंदसौर कोई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, भोपाल, लखनऊ जैसा महानगर नहीं है. उस छोटे से शहर में यदि रोज कमाने खाने वाले दैनिक मजदूर ने यदि दो दिन काम नहीं किया तो उनमें से कई के घरों में चूल्हा भी नहीं जला होगा, बच्चे भूखे सोये होंगे. और यह चूल्हा इसलिए नहीं जला होगा, उसके बच्चे इसलिए भूखे सोये होंगे क्योंकि वह मजदूर हिन्दू है और मुस्लिम गुंडों के आतंक और अत्याचार की आग में झुलस रहा है.
शर्म की बात यह है कि उस हिन्दू दैनिक मजदूर को उस सरकार के शासन में यह सब सहना पड़ रहा है, जिस सरकार का दावा है कि हिन्दुओं की इकलौती ठेकेदार केवल और केवल वही है.
इसीलिए मेरा मानना है कि, मंदसौर की घटना हर्ष और गर्व के बजाय शोक और शर्म का विषय है तथा मप्र की भाजपा सरकार के मुंह पर जोरदार थप्पड़ सरीखी है.

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