Tuesday, May 24, 2016

'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' कहावत याद दिला रही है कांग्रेस

28 मई को होने वाले एनडीए सरकार के कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन की भागीदारी पर कांग्रेसी खेमा आगबबूला हो गया है.
सीबीआई जांच से घिरकर बाकायदा जेलयात्रा कर चुके लालू और शिबू सोरेन सरीखे कुख्यात राजनेताओं को यूपीए सरकार में कोयला और रेल सरीखे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कैबिनेट मंत्री बनाने का कारनामा अंजाम दे चुकी कांग्रेस की नैतिकता...!!! ईमानदारी...!!! सदाचार...!!! के हवन कुंड की लपटें शेषनाग की तरह इसलिए फुफकार रहीं हैं, क्योंकि तथाकथित 'पनामा लीक्स' में अमिताभ बच्चन का नाम भी उछला था.

कांग्रेस का कहना है कि सरकार के कार्यक्रम में अमिताभ की भागीदारी से एजेंसियों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. ज्ञात रहे कि 'पनामा लीक्स' में नाम उछलने के तत्काल बाद अमिताभ बच्चन सफाई दे चुके हैं. उसके बाद से उनके खिलाफ अभी तक कोई साक्ष्य या तथ्य भी सामने नहीं आया है.
आज जिस आधार और सिद्धांत पर कांग्रेस ने एनडीए के कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन की भागीदारी को लेकर उनके और सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी है वही आधार, वही सिद्धांत कांग्रेस तब क्यों भूल गयी थी, जब उसकी सरकार की विशेष कृपा के कारण जनवरी 2010 में, जिस भारतीय अमेरिकी नागरिक संत सिंह चटवाल को कांग्रेसी सरकार ने पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया था, वो भारत के स्टेट बैंक के साथ फर्जीवाड़ा करके उसके 90 लाख डॉलर हड़प चुका था. जिसके लिए वो बाकायदा गिरफ्तार भी हुआ था और जमानत पर छूटा था.

बाद में कांग्रेसी शासन में सीबीआई ने अज्ञात कारणों से उसके खिलाफ केस ही बंद कर दिया और स्टेट बैंक के 90 लाख डॉलर हमेशा के लिए चटवाल हजम कर गया था. सीबीआई की जांच बंद होने के कुछ महीनों बाद ही कांग्रेसी सरकार ने उसे पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया था. लेकिन उस समय भी चटवाल पर अमेरिका में (जहां का वो निवासी है) वहां उसपर धोखाधड़ी जालसाज़ी के 5 मुकदमे चल रहे थे. उस समय तक चटवाल खुद को एक-दो नहीं बल्कि 4 बार दीवालिया घोषित कर के अमेरिका के कई बैंकों को भी करोड़ों का चूना लगा चुका था. लेकिन इन शर्मनाक और खतरनाक सच्चाइयों से मुंह चुराते हुए देश की तत्कालीन कांग्रेसी सरकार ने प्रचंड बेशर्मी के साथ चटवाल को पद्म भूषण से सम्मानित किया था.
चटवाल पर लगे आरोप केवल कोरे आरोप मात्र नहीं थे. उसपर चल रहे उन मुकदमों में से एक मुकदमे में उसे वर्ष 2014 अप्रैल में न्यूयॉर्क की एक अदालत ने 5 साल की जेल और 10 लाख डॉलर (लगभग 6.5 करोड़ रू) के जुर्माने की सज़ा सुनाई थी. सिर्फ चटवाल ही नहीं बल्कि उसी वर्ष 2010 में उसी कांग्रेसी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में दहशत और आतंक का पर्याय समझे जाने वाले गुलाम अहमद मीर उर्फ़ मोमा काना नाम के उस दुर्दांत आतंकवादी को पद्मश्री से सम्मानित किया था जिस पर हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण के दर्जनों केस दर्ज़ थे और जिनसे बचने के लिए उसने आत्मसमर्पण कर दिया था. उस आतंकी को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री सरीखे सरकारी सम्मान से सम्मानित कराके कांग्रेस की सरकार ने जम्मू कश्मीर के प्रशासनिक तंत्र, वहाँ की पुलिस और वहाँ तैनात देश के सुरक्षाबलों को क्या सन्देश दिया था यह इसी से स्पष्ट हो गया था कि, आतंकी मोमा काना को दिए गए पद्म सम्मान पर जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और जम्मू कश्मीर के तत्कालीन डीजीपी/गृहसचिव/प्रशासनिक सचिव समेत राज्य का पूरा गृहमंत्रालय स्तब्ध हो गया था और इन लोगों ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि आतंकी मोमा काना का नाम राज्य सरकार ने पद्म श्री के लिए नहीं भेजा था.

अतः देश आज यह जानना चाहता है कि, 2010 में देश की तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जालसाज़ चटवाल को पद्मभूषण सम्मान से तथा आतंकी गुलाम अहमद मीर उर्फ़ मोमा काना को पद्मश्री से सम्मानित करके किसको क्या सन्देश दिया था?
अतः आज जिन और जैसे तर्कों के साथ कांग्रेस देश की मोदी सरकार और महानायक अमिताभ बच्चन के खिलाफ ऊँगली उठा रही है, उन्ही तर्कों की कसौटी पर स्वयं को कसते हुए कांग्रेस को देश से यह बताना चाहिए कि उसने जनवरी 2010 में एक अंतर्राष्ट्रीय जालसाज़ ठग अपराधी को बाकायदा राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के हाथों से देश के तीसरे सबसे बड़े सरकारी सम्मान से सम्मानित क्यों करवाया था.?
ऐसा करके कांग्रेस नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने उस समय देश के साथ साथ सात समुंदर पार अमेरिकी जांच एजेंसियों और वहाँ की पुलिस को क्या सन्देश दिया था?
अतः कुछ अख़बारों में छपी अपुष्ट खबरों के आधार पर आज अमिताभ बच्चन और देश की सरकार पर ऊँगली उठाकर 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' कहावत याद दिला रही है कांग्रेस...

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