Friday, November 18, 2016

देश के मुख्य न्यायाधीश को बैंकों के आगे लाइन में खड़ी जनता दंगाई क्यों लगती है.?

देश में 500 और 1000 के नोटों पर लगी रोक के 11 दिन बाद देश के मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर ने टिप्पणी की है कि, "लोगों को हाईकोर्ट जाने का अधिकार है. अगर हाईकोर्ट के दरवाज़े बन्द किये गए तो समस्या की गंभीरता के बारे में कैसे पता चलेगा. लोग परेशान हैं. गुस्से में हैं. स्थिति गंभीर है. ऐसे दंगा होने लगेगा."

मुख्य न्यायाधीश महोदय की उपरोक्त टिप्पणी का देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो निकट भविष्य में ज्ञात हो ही जायेगा किन्तु उनकी टिप्पणी के बाद से कांग्रेस के नेताओं और अरविन्द केजरीवाल तथा ममता बनर्जी सरीखे नेताओं के हौसले बुलन्द नज़र आ रहे हैं. इन नेताओं ने देश में 500 और 1000 के नोटों पर रोक के खिलाफ देश में हिंसा भड़कने फैलने की चेतावनियां-धमकियां देना प्रारम्भ कर दिया है.
अतः इस स्थिति ने मेरे मन में कुछ प्रश्नों को जन्म दिया है. मेरे वो सवाल यह हैं...

माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, जिस दिन देश में 500 और 1000 के नोटों पर रोक लगी थी उस दिन स्थिति जितनी गंभीर थी उतनी गंभीर उस रोक के 11 दिन बाद तो नहीं ही है. उन 11 दिनों में देश में कहीं कोई दंगा होना तो दूर छोटी मोटी हिंसा या झड़पों का भी कोई समाचार भी देखा सुना नहीं गया. ऐसे में उस रोक के 11 दिन बाद आपको यह क्यों और कैसे प्रतीत हुआ कि नोटों पर लगी रोक के कारण देश में स्थिति इतनी गम्भीर है कि देशव्यापी दंगे हो सकते हैं.?

माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश की अदालतों में 2 करोड़ 70 लाख मुक़दमे लम्बित हैं. इस स्थिति का अर्थ यह है कि देश में न्याय पाने की कतार में लगभग 6 से 7 करोड़ लोग खड़े हुए हैं. यह स्थिति एक दो दिन या दो-चार हफ्तों की नहीं है. न्याय पाने के लिए वर्षों से कतार में खड़े लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन न्याय पाने की लम्बी कतार में वर्षों से खड़े इस देश के आम आदमी ने इस बात पर कभी कोई दंगा नहीं किया है. अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, आपको ऐसा क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए केवल कुछ घण्टे लाइन में खड़े होने के कारण लोग दंगा करने लगेंगे.? 

माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, आपने टिप्पणी की है कि यदि नोट पर रोक के खिलाफ लोगों को हाईकोर्ट जाने से रोका तो दंगे हो जायेंगे.अतः सबसे पहले बात आपके इसी तर्क की. माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी इस देश में हत्या के केस में केवल 39.1% तथा बलात्कार के केस में केवल 28% लोगों को सजा मिलती है. अर्थात लगभग 60.9% हत्यारों और 72% बलात्कारियों को कोई सजा नहीं मिलती. कमोबेश यही स्थिति अन्य संगीन अपराध के लिए मिलने वाली सज़ाओं की भी है. अर्थात ऐसे जघन्य अपराध के मामलों में 60 से 70 प्रतिशत जनता को न्याय नहीं मिल पाता. लेकिन इस देश का आम आदमी तब भी कोई दंगा नहीं करता. अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, पता नहीं आपको यह क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़े लोग दंगा करने लगेंगे.?
माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश में 1991-92 में हुए शेयर घोटाले में सीधे देश की जनता की जेब से लगभग 36 हज़ार करोड़ रू लूट लिए गए थे (आज उस राशि का मूल्य लगभग साढ़े 3 लाख से 4 लाख हज़ार करोड़ होगा). दिनदहाड़े सरकार की आँख नाक कान के सामने जनता से हुई उस जघन्य लूट का उस समय शिकार बने 200 से अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली थी. जनता को वह राशि आजतक वापस नहीं मिली. उस घोटाले के जिम्मेदार लोगों को आजतक सजा नहीं मिली. आज 24 वर्ष बाद भी जनता को उसका वह डूबा हुआ पैसा और न्याय नहीं मिला है. लेकिन इस देश के आम आदमी ने तब भी कोई दंगा नहीं किया. अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, पता नहीं आपको यह क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़े लोग दंगा करने लगेंगे.?

माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश में जहरीली गैस से लगभग 3900 लोगों को कुछ घण्टों में मौत के घाट उतारने, लाखों लोगों को ज़िन्दगी भर के लिए बीमार करने के जिम्मेदार वॉरेन एंडरसन को सरकारी संरक्षण में देश से भगाया गया था, आजतक किसी को कोई सजा नहीं मिली तब भी इस देश के आम आदमी ने कोई दंगा नहीं किया... अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, पता नहीं आपको यह क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़े लोग दंगा करने लगेंगे.?

मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश में केवल 72 घण्टों में लगभग साढ़े तीन हज़ार सिक्खों को देश के सत्ताधारी दल के नेताओं-गुंडों ने देश की राजधानी में सुप्रीमकोर्ट की नाक के नीचे सरेआम कत्ल किया. 
आज 32 वर्ष बाद भी उस कत्लेआम के जिम्मेदार किसी नेता गुंडे को सजा नहीं मिली है लेकिन इस देश के आम आदमी ने कोई दंगा नहीं किया. अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, पता नहीं आपको यह क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़े लोग दंगा करने लगेंगे.?

मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश के एक हिस्से कश्मीर से साढ़े तीन लाख हिंदुओं का घरद्वार सम्पत्ति लूटकर उनके घरों से रातों रात भगा दिया गया ऐसा करने वाले किसी गुंडे को आजतक सजा नहीं मिली. उन साढ़े तीन लाख हिंदुओं को ना तो उनका घर जमीन इज़्ज़त वापस मिली ना ही उनको न्याय मिला लेकिन इस देश के आम आदमी ने कोई दंगा नहीं किया. अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, पता नहीं आपको यह क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़े लोग दंगा करने लगेंगे.? 

मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश में सरकारों की 70 साल से जारी आपराधिक लापरवाही और निकम्मेपन के कारण रोजाना लगभग 3650 बच्चे काल के गाल में समा जाते हैं. इनमे से 50% बच्चे तो जन्म के केवल 28 दिन के भीतर ही काल का ग्रास बन जाते हैं लेकिन इस देश की जनता या इस देश का आम आदमी इसके लिए कोई दंगा नहीं करता. अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, पता नहीं आपको यह क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़े लोग दंगा करने लगेंगे.?

माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश की जनता या आम आदमी इतना स्वार्थी, संकीर्ण और संकुचित मानसिकता वाला वह दंगाई नहीं है कि जो देशहित के लिए हो रहे किसी कार्य के लिए कुछ घण्टों कतार में नहीं खड़ा हो सके. 
मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, इस देश में दंगों की आग का इतिहास देशहित में किये गए जनता के किसी योगदान के कारण नहीं लिखा गया है. इसके बजाय उन दंगों का कारण कट्टर धर्मांध साम्प्रदायिक सोच के गर्भ से जन्म लेता रहा है. अतः माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी, पता नहीं आपको यह क्यों लग रहा है कि अपना पैसा निकालने के लिए लाइन में खड़े लोग दंगा करने लगेंगे.?

29 comments:

  1. Wah-wah kyaa khhoob likhaa hai! Don't know the judiciary is representing which lobby?

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    1. न्यूटन एक नकली खुदा (False God) उन्होंने कभी नहीं दिया था **गति का दूसरा नियम** , F=ma
      220 देशों में अरबों बच्चों (billions) को दी जा रही गलत शिक्षा ।
      F=ma असली खुदा यूलर को कोई नहंी पूछता। क्यांे ?

      3 मिनट का वायरल विडीयों हजारों बार share और देखा गया
      READ & DECIDE YOURSELF Plz.
      https://www.facebook.com/insighthp/videos/vb.171368279898150/271635199871457/?type=2&theater

      *******************Part 1
      न्यूटन की मृत्यु के 48 साल बाद अर्थात 1775 में यूलर ने दिया था गति का दूसरा नियम नियम F=ma .
      न्यूटन का F=ma से दूर दूर कुछ लेना देना नहीं।
      स्विजरलैंड के वैज्ञानिक लियोनहार्ड यूलर ने दिया था न्यूटन की गति का दूसरा नियम F=ma
      लियोन हार्ड यूलर है F=ma सही हकदार और खोजकर्ता न्यूटन का F=ma से दूर दूर कुछ लेना देना नहीं।
      न्यूटन के समय (1642-1727) तक त्वरण (a) , acceleration डिस्कवर नहीं हुआ था। इस तरह F=ma का सवाल ही उठता। न्यूटन का F=ma योगदान शून्य है।

      *********************Part II
      स्पष्ट प्रमाण (concrete proof), Euler is the emperor
      मैथेमैटिकल ऐसोसियसन आफ अमेरिका (MAA) ने यूलर की पुस्तकों और 900 शोधपत्र संकलित है। यूलर के शोधपत्र E479 के पृष्ठ 223 पर F=ma दिया है। इसे MAA की website

      http://eulerarchive.maa.org
      कोई भी पढ सकता है।

      न्यूटन ने प्रिसींपियां (1687,1713,1726 ) में क्या दिया है ?
      न्यूटन ने प्रिसिपिया में गति के तीन नियम पृष्ठ 19-20 न्यूटन की गति का दूसरा नियम है।
      F= गति में परिवर्तन = (v-u)

      Link for Newton’s Principia
      https://books.google.co.in/books?id=Tm0FAAAAQAAJ&pg=PA1&redir_esc=y&hl=en#v=onepage&q&f=false

      It is entirely different from F=ma. न्यूटन का F=ma से दूर दूर कुछ लेना देना नहीं।
      www.AjayOnLine.us 0091 94184 50899


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  3. नोट बंदी पर दंगा सिर्फ देश के गददार कर सकते हैं देशप्रेमी कदापि नही। मोदीजी को चाहिये इन सब दंगाबाजों को जेल मे ठेल देना चाहिये।

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  4. नोट बंदी पर दंगा करने वाले सिर्फ देश के गददार हो सकते देप्रेमी कदापि नही।

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  5. Aapne ruz marra ke jorurato ko aap keise pure karthe hai ?

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  6. kitne mile thakur sahb logon ko dang ke liye bhadkane ke liye kitne men bike

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  7. The comment of Hon.Cheif Justice shows that now judiciary is also not independent in this country.

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  8. Honorable JUSTICE Mr T S THAKUR JI this Statement is very very Shameful,that INDIAN Public is not Iresponsible,ur statement is very very painful for every HONEST CITIZEN of India.

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  9. नोट बन्दी एक बहुत ही ज़रूरी और बढ़िया क़दम है प्रधान मंत्रिजी का।
    हमसब उनके निर्णय की सराहना व विरोध करने वालों की भर्त्सना करते है।
    विरोध करने वाले काले धन के समर्थक व वाहक तथा पोषक हैं, क्यूँ न वो मुख्य न्यायाधीश ही हो।

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  10. this is a very better disiegen of shri modi.and i respect this disiegen.

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  11. 6 hrs ·
    मोदी जी के " नोट्बंदी " से कुछ बड़े काले कपडे ओढ़े हुए कुछ भेड़ो की पूँछ भी दब गई है | डेट पर डेट पड़ती जाती है पर सुनवाई कभी नही हो पाती मुकदमों मे, लेकिन नोट की समस्या इन्हे जल्दी समझ आ गयी . या आप इसे यू भी समझ सकते है की हमारे न्यायाधीशो को कानून से ज्यादा नोटों की भाषा समझ आती है | मुकदमो की लाइन पहले देखिए जो आप ही को देखना है मोदी जी को नही .

    मी लॉर्ड की बात लोग समझ नहीं पाए , "दंगे हो सकते हैं"... ये कोई चेतावनी नहीं थी , ये तो "हिंट" थी की दंगे करवाओ तभी जाकर हम हस्तक्षेप कर पाएंगे.... वर्ना सब लुट जाएगा ... और तुम्हारा तो ठीक है ... हम न्यायमूर्तियों के घरों में जमा हुआ "न्याय" भी सब रद्दी हो जायेगा !!

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  12. સુપ્રીમ કોર્ટ , યા હાઈ કોર્ટ ની સરકાર વિરુદ્ધ ની ટિપણીયો વિષે
    =================================
    આ દેસદ્શ ની કોર્ટોમોઆ કરોડો કેસો પેન્ડિગ છે અને વકીલો ના બનેલા આ ઓર્ગેનીઝેશન માં
    તેનીજ કપ્રતોના વકીલો અસીલો સાથેનો વહેવાર તથા લેવામાં આવતી અધધ ફીસ નાવિષે વિચારવાને બદલે , તથા આ ઓર્ગેનીઝેશન માં વકીલો વાહિયાત કારણો આપીને એકબીજાને
    મદદ કરવા માટે તરીકો પર તરીકો લઇ ને કેસને વર્ષો સુધી લંબાવીને અસીલને થકવી દેતા હોય છે અને જે અસીલ કોર્ટમાં ન્યાય લેવા ગયો હોય છે તેને ધીમી ગતિએ તેનું આદેશ ની કોર્ટો પરથી વિશ્વાસ ઉઠાડી દેવાનો એક વ્યવસ્થિત પ્રત્યન કરતા હોય છે। પોતાના અંગત કે કોઈ પણ કારણ
    સર કોર્ટમાં કેસ ની તરીકો પર તારીક લેતા હોય છે અને જજો પણ આ તરીકો મંજુર પણ કરતા હોય છે। આ એક માત્ર ને માત્ર વકીલોનું જ ઓર્ગેનીઝેશન બની ગયું છે અને અસીલ નુજ શોષણ
    થતું હોય છે , આપ્રવ્રુત્તિ હાઈ કોર્ટ કે સુપ્રીમ કોર્ટોના જજોના નાક નીચે અને તેમની હાજરીમાં જ
    આવા ખેલો ખેલાય છે છતાં આ જજો તેઓની સામે કોઈ પગલાં કે અસીલની ચિંતા કરતા નથી એ
    હકીકત છે
    આજ કોર્ટોના જજો દેશ વિરીદ્ધ કે પ્રજા વિરુદ્ધ ની ટિપણનીઓ કે આડકતરી રીતે દેશના
    માલેતુજાર ,કે પાર્ટી પક્ષોને પરીક્ષા રીતે મદદ કરીને દેશ ની શાંતિ કે વિકાસમાં સહભાગી થવાને
    બદલે તેમાં રુકાવટો પેદાકરવાની કોશિશો કરતા હોય છે તેમની ટિપ્પણીઓ દ્વારા જે દેશ ના
    હિતમાં કે આમ જનતાના હિતમાં નથી કોર્ટોમાં પડેલા કેસો આ વકીલોની નિરર્થક તારીક પર
    તારીક લેવાથી ન્યાય ની પ્રક્રિયામાંઆ રુકાવટો પેદા કરે છે અને ન્યાયનું ખૂન થતું દેખાય છે
    હાઈ કોર્ટના જજો કે સુપ્રીમ ના જજો આ બાબતે જરૂર પોતાની જવાબદારી સાંજે અને પ્રજા
    હિતમાં ન્યાય ના આ ઓર્ગેનીઝેશન પ્રત્યે લોકોને વિસ્વાસનીયતા ઉભી કરાવે
    ===પ્રહલાદભાઈ પ્રજાપતિ


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  13. मुख्य न्यायाधीश महोदय टीएस ठाकुर जी की बात लोग समझ गए, "दंगे हो सकते हैं"... ये कोई चेतावनी नहीं थी , ये तो "हिंट" थी की दंगे करवाओ तभी जाकर हम हस्तक्षेप कर पाएंगे.... वर्ना सब लुट जाएगा ... और तुम्हारा तो ठीक है ... हम न्यायमूर्तियों के घरों में जमा हुआ "न्याय" भी सब रद्दी हो जायेगा !!

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  16. JUDICIARY EXPOSED ! JUSTICE GONGOLY FACED TRUTH IN PUBLIC ! SAME IS HIS FATE AFTER 3RD JANUARY ! THEY DON'T POSESS BASIC ELIGIBILITY OF IMPARTIALITY ! HE IS BLACK SPOT ON JUDICIARY ! WAIT HE WILL CERTAINLY FACE PUBLIC ON ROAD !!

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  17. नोट बंदी पर दंगा सिर्फ देश के गददार कर सकते हैं देशप्रेमी कदापि नही।

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  18. सरकार बदलते ही राज्यपालों को बदलने की प्रक्रिया अगर न्यायालयों पर भी लागू हो जाये तो नवनिर्वाचित सरकार को अपना कार्य करने में कोई परेशानी नहीं होगी ,मुख्य न्यायाधीश की भाषा बिलकुल असंतुष्ट विपक्षी दलों की भाषा जैसी लग रही है.मुझे आज अजीब सा लग रहा है सोच कर कि जब मैं लाइन में लगा था तो क्या मैं दंगाई लग रहा था ?

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  19. ye hai nyaay murti........khud se hi dar gaye aur kuch nahi........line mai lagne per ye sawal bhi nahi dimaag mai aaya tha ki danga ho sakta hai.....inhone to dangayi bana diya .....wahhhh

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  20. शर्मनाक बयान !काले धन पर सारा देश एक है !आश्चर्य हुआ मुख्य न्यायधीश की तर्कशीलता जा दिवालिया देख कर !

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  21. शर्मनाक बयान !काले धन पर सारा देश एक है !आश्चर्य हुआ मुख्य न्यायधीश की तर्कशीलता जा दिवालिया देख कर !

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  22. शर्मनाक बयान !काले धन पर सारा देश एक है !आश्चर्य हुआ मुख्य न्यायधीश की तर्कशीलता जा दिवालिया देख कर !

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  23. शर्मनाक बयान !काले धन पर सारा देश एक है !आश्चर्य हुआ मुख्य न्यायधीश की तर्कशीलता जा दिवालिया देख कर !

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  24. A corrupt man. he and his family always thrived on nepotism and sycophancy. and now he laments for justice and problem to public. What a farce

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  25. My Lord Should ask for excuse from India for his statement.

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  26. ऐसे बयान देख कर लगता है 60 से राज कर रही कांग्रेस का असर देश के हर तंत्र पर पढ़ा है । इतनी बर्षों में ना जाने कितने लोग कांग्रेस की देन से बहुत उच्च पदों पर पहुंच गये हैं और उन्हें अपनों का कष्ट देखकर दर्द तो होगा ही।

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  27. Hahaha pehli baar is desh me gareeb khush hai or baimaan ro raha hai shayed kuch logo ko ye accha nahi lag raha hai unko ye samajh leena chahiye ki ab chahe dange kerwa lo chahe kahin band kerwa lo unka paisa raaddi hai Modi g ne bool diya hai ki kooshish bhi na karain matlab na karain
    Ab bahut sah liya jab ghotalon per ghotale ho rahe the kitne saal ho gye koi faisla aaya kisi neeta ke khillaf aaj bhi maje se ghoom rahe hain iska matlab ye hua ki chinta apne paise ki hai India jaye bhaad me per jayeda din ye sab nahi chalega
    Jai Hind
    Vande Maatram

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