Saturday, December 24, 2016

देश को 5 लाख करोड़ की सौगात समर्पित करेगी नोटबन्दी

8 नवम्बर की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को रद्द कर उनकी जगह नए नोटों के प्रचलन की अपनी घोषणा से पूरे देश को चौंका दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की इस रणनीति के पीछे आतंकवाद को की जाने वाली फंडिंग, जाली करेंसी नोटों का भारत में बढ़ता कारोबार और कालाधन को निकाल बाहर करने के बड़े लक्ष्यों को बताया था । देश की जनता भी इन समस्याओं से पिछले काफी लम्बे समय से चिंतित रही है, वह भी यह चाहती रही है कि इस दिशा में कोई ठोस प्रयास सरकार की ओर से हो, ठीक 6 दिन बाद 30 दिसम्बर को नोटबन्दी की ऐतिहासिक यात्रा अपने पड़ाव पर पहुँचने वाली है. केवल देश ही नहीं अपितु पूरी दुनिया उत्सुकता के साथ नोटबन्दी अभियान की समाप्ति पर उसके परिणामों की प्रतीक्षा कर रही है. नोटबंदी की अबतक की यात्रा ने देश को सुखद और ऐतिहासिक परिणामों के ही संकेत दिए हैं. 
बीती 7 दिसंबर को केंद्र के आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास जब पत्रकारों को नोटबन्दी अभियान की तब तक की प्रगति से अवगत करा रहे थे तब उन्होंने यह बताया था कि... 8 नवम्बर को नोटबन्दी के बाद से लेकर 5 दिसम्बर तक बैंकों में कुल 11.55 लाख करोड़ रू के 500 व 1000 रू के पुराने नोट लोगों द्वारा बैंक खातों में जमा किये गए हैं. इसी दिन वित्तमंत्रालय का यह आंकलन भी सामने आया था कि उन 11.55 करोड़ रू में से लगभग 7 लाख करोड़ रू ऐसे बैंक खातों में जमा हुए हैं जिनमें 1.5 करोड़ या उससे ज्यादा राशि जमा की गयी है. वित्त सचिव द्वारा दी गयी सूचना तथा वित्तमंत्रालय के उपरोक्त आंकलन से यह स्पष्ट हो गया था कि यदि उन खातों में जमा की गयी राशि को पूरी तरह वैध भी है तो उससे सरकार को न्यूनतम २.५० लाख करोड़ रू आयकर का मिलना सुनिश्चित हो चुका है. यदि 500 और 1000 के पुराने नोटों वाली 15.44 लाख करोड़ की राशि में से शेष सारे 8.44 लाख करोड़ रूपए बैंकों में जमा भी हो गए तो सरकार को उनसे 1.5 से लेकर 2 लाख करोड़ रू तक कर के रूप में प्राप्त होंगे ही होंगे क्योंकि बीती 23 दिसम्बर को वित्तमंत्रालय ने यह सूचना सार्वजनिक की थी कि अबतक जिन खातों में जमा रकम इनकम टैक्स के दायरे में आ चुकी है, वैसे खातों की संख्या लगभग 68 लाख तक पहुँच चुकी है. वित्तमंत्रालय के अबतक के उपरोक्त दो आंकलनों से यह स्पष्ट हो जाता है कि नोटबन्दी के कारण सरकार को इनकम टैक्स के रूप में मिलने वाली रकम का यह आंकड़ा लगभग 4 लाख करोड़ तक पहुँच सकता है. बैंकों में यदि 15.44 लाख करोड़ रू की पूरी राशि जमा भी हो गयी तो यह तो निश्चित है कि वह पूरी राशि वैध नहीं होगी. उसका एक बड़ा हिस्सा वह काला धन भी होगा जिसपर उस राशि के मालिक को भारी जुर्माने की रकम भी चुकानी होगी. अतः संभावित जुर्माने की रकम को भी यदि आयकर से मिलनेवाली राशि से जोड़ दिया जाये तो नोटबन्दी से सरकार को कम से कम 4.5 - 5 लाख करोड़ तक की राशि भी प्राप्त हो सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया नोटबन्दी का कदम इसलिए भी अभूतपूर्व सफलता का इतिहास रचने जा रहा है क्योंकि आर्थिक वित्तीय मामलों की अंतरराष्ट्रीय एजेंसी क्रिसिल ने साल 2007 में भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 23 प्रतिशत काले या अघोषित धन की मौजूदगी बताई थी. यदि इस प्रतिशत को ही स्वीकार कर लिया जाए तो भारत में मौजूदा समय 480 बिलियन डॉलर का अघोषित धन या परिसंपत्ति होने का अनुमान है. सरकार के नोटबंदी के इस कदम से अघोषित नकदी और कालाधन में से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि सरकारी बैंकों में आ जाने का अनुमान कई अर्थशास्त्रियों ने भी लगाया है. लेकिन अबतक सामने आये वित्तमंत्रालय के उपरोक्त दो आंकलनों ने यह सन्देश दे दिया है कि नोटबन्दी के परिणामस्वरूप देश के खजाने को मिलने जा रही भारी भरकम राशि का आंकड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कालेधन के खिलाफ छेड़ी गयी निर्णायक जंग (नोटबन्दी) के कदम अभूतपूर्व विजय का नया इतिहास रचने जा रही है.

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