Tuesday, August 21, 2018

सिद्धू और कांग्रेस सरासर सफेद झूठ बोल रहे हैं। देश की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।

सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा को एक दोस्त के निमंत्रण पर दूसरे दोस्त सिद्धू द्वारा की गयी यात्रा बता रही है कांग्रेस। यही राग सिद्धू भी अलाप रहा है।
अब जानिये जरा कि इमरान खान का कितना बड़ा दोस्त है सिद्धू।
जिस मुश्ताक मुहम्मद की अंगुली पकड़कर उसकी कप्तानी में इमरान खान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की ऊंचाइयों तक पहुंचा। उसके बाद जिन आसिफ इकबाल और ज़हीर अब्बास की कप्तानी में इमरान खान बरसों तक खेला। उन तीनों को अपने शपथ ग्रहण में इमरान खान ने ना बुलाया, ना ही वो तीनों उसके शपथग्रहण में गए। अपने 21 बरस लम्बे क्रिकेट कैरियर में इमरान खान जिन खिलाड़ियों के साथ खेला उनमें से केवल 4 पाकिस्तानी खिलाड़ी, मियांदाद, वसीम अकरम, वकार यूनुस, आकिब जावेद ही उसके शपथग्रहण में गए थे।
पूरी दुनिया से कोई क्रिकेट खिलाड़ी उसके शपथग्रहण में शामिल नहीं हुआ, सिवाय सिद्धू के। क्या इमरान खान का इतना बड़ा और ख़ास दोस्त है सिद्धू.?
इसका जवाब मेरे यह कुछ सवाल दे देते हैं।
कांग्रेस और विशेषकर सिद्धू को यह बताना चाहिए कि उसके इतने घनिष्ठ दोस्त इमरान खान ने एक के बजाय तीन शादियां कीं हैं, पर उसने अपने पक्के दोस्त सिद्धू को उन तीनों शादियों में कभी क्यों नहीं बुलाया था.?
इमरान खान अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि जिस कैंसर अस्पताल को बताता है उसके उदघाटन के शानदार जश्न में उसने अपने घनिष्ठ दोस्त सिद्धू को क्यों नहीं बुलाया था.? जबकि उस जश्न में उसने दुनिया भर के कई खिलाड़ियों को बुलाया था।
सिद्धू यह भी बताए कि उसने अपनी खुद की शादी में अपने घनिष्ठ मित्र इमरान खान को क्यों नहीं बुलाया था.? उसकी शादी में इमरान खान क्यों नहीं आया था.?
यही नहीं सिद्धू के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि उसका मंत्री बनना था। सिद्धू ने अपनी उस उपलब्धि के उस जश्न में शामिल होने का निमंत्रण इमरान खान को क्यों नहीं दिया था.? इमरान खान उसके शपथग्रहण में क्यों नहीं आया था.?
,दरअसल अपने क्रिकेट जीवन के शिखर के दौरान इमरान खान अत्यन्त अहंकारी और बदमिजाज इन्सान के रूप में कुख्यात हुआ करता था। उस दौर के अनेक पाकिस्तानी/अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों ने अपनी किताबों में बहुत विस्तार से इसपर लिखा भी है। यही कारण है कि उस दौर के उसके साथी रहे केवल 4 पाकिस्तानी क्रिकेटर उसके जश्न में शामिल हुए तथा शेष दुनिया का कोई क्रिकेटर शामिल नहीं हुआ।
ध्यान रहे जिस दौर में इमरान खेलता था उस दौर में सिद्धू औसत दर्जे का वह क्रिकेटर था जो भारतीय टीम में कभी स्थायी जगह नहीं पाया और लगातार अंदर बाहर होता रहता था।
अतः वेंगसरकर और श्रीकांत सरीखे जिन भारतीय कप्तानों के साथ क्रिकेट के मैदान में दर्जनों बार इमरान खान ने हाथ मिलाए, उनके साथ बरसों तक वह खेला भी लेकिन इन खिलाड़ियों के बजाय औसत दर्जे के खिलाड़ी सिद्धू के साथ उसकी ऐसी कौन सी गहरी दोस्ती कब हो गयी थी.?
दअरसल भारत में घुसपैठ करने के लिए पाकिस्तानी फौज जिसतरह आतंकियों को कवर फायर देती है, ठीक उसी तरह सिद्धू को कवर फायर देने के लिए ही इमरान खान ने कपिलदेव और गावस्कर को भी निमंत्रण भेज दिया था। हालांकि वह भलीभांति जानता था कि यह दोनों ही नहीं आएंगे क्योंकि उसने जब कैंसर अस्पताल के लिए चंदा मांगा था तब कपिलदेव ने उसको मुंहतोड़ जवाब दिया था और गावस्कर ने भी अंगूठा दिखाया था।
इसलिए यह जान समझ लीजिए कि इमरान और सिद्धू की कोई दोस्ती कभी नहीं रही। दोनों एकदूसरे के दोस्त कभी नहीं रहे। दोनों की दोस्ती के फ़र्ज़ी दावे की नकाब में सिद्धू वहां कांग्रेस का दूत बनकर ही गया था।
सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा और वहां उसकी करतूतों के पक्ष और समर्थन में खुलकर खड़े होकर कांग्रेस ने स्थिति को शीशे की तरह साफ कर दिया है।

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