Tuesday, February 27, 2018

बाबा तुम बौराओ मत (अन्तिम) PART_3

रामदेव का विचित्र विरोधाभाषी राष्ट्रवाद...
वर्ष 2004 की रामनवमी के दिन उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार में स्थित अपनी पतंजलि योग पीठ का शिलान्यास रामदेव ने किसी योगाचार्य या आयुर्वेदाचार्य से नहीं करवाया था। रामदेव ने योगपीठ का शिलान्यास उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री या राज्यपाल से भी नहीं करवाया था। रामदेव ने योगपीठ का शिलान्यास किसी केंद्रीय मंत्री से भी नहीं करवाया था। इसके बजाय रामदेव ने पतंजलि योगपीठ का शिलान्यास उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से करवाया था। याद रहे कि यह वही दौर था जब केंद्र की अटल सरकार द्वारा आतंकवादी संगठन #सिमी को प्रतिबंधित किये जाने का प्रचण्ड विरोध मुलायम सिंह यादव यह कहते हुए कर रहे थे कि #सिमी पर प्रतिबंध सरासर गलत है, क्योंकि #सिमी कोई आतंकवादी संगठन नहीं है। इसके बजाय #सिमी एक सामाजिक सांस्कृतिक संगठन है।
दिसम्बर 2016 में पतंजलि की क्रीम से लालू प्रसाद यादव के गाल अपने हाथों से चमकाने के बाद रामदेव ने कहा था कि "लालू प्रसाद यादव देश की अमूल्य सामाजिक, राजनीतिक धरोहर हैं। देश को उनकी सेवाओं की बहुत जरूरत है, देश की राजनीति के लिए उनका स्वस्थ रहना आवश्यक है"। ध्यान रहे कि रामदेव जब अपने उपरोक्त ईश्वरीय वचनों से लालू प्रसाद यादव का गुणगान कर रहे थे तबतक चारा घोटाले के आधा दर्जन से ज्यादा मामलों में लालू की कई जेल यात्राएं सम्पन्न हो चुकी थीं। जिनमें से एक केस में 3 अक्टूबर 2013 को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने 5 साल की कैद और 25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुना चुकी थी। अबतक 2 अन्य मामलों में भी सज़ा भी सुनाई जा चुकी है।
"ममता बनर्जी को देश का प्रधानमंत्री बनने योग्य होने का सर्टिफिकेट रामदेव 2 साल पहले ही जारी कर चुके हैं।
सबसे खास बात यह है कि जिन तीन नेताओं का जिक्र ऊपर किया गया है उन तीनों नेताओं का वन्देमातरम तथा भारतमाता की जय सरीखे नारों पर विचार क्या है, यह किसी से भी छुपा नहीं है।

किसी व्यवसायिक व्यक्ति का राष्ट्रवाद क्या और कैसा होना चाहिए यह अक्षयकुमार ने दिखाया है। बीती 12 जनवरी को अपने एक शो से हुई 13 करोड़ रुपये की पूरी कमाई अक्षयकुमार ने सुरक्षाबलों के शहीद जवानों के लिए बनी वेबसाइट भारत के वीर को दान कर दी थी। करोड़ों की लागत से बनी उस वेबसाईट का पूरा खर्च भी अक्षयकुमार ने सरकार को स्वयं दिया था।
उस वेबसाईट के माध्यम से पिछले 10 महीनों में अक्षयकुमार लगभग 60 करोड़ रूपये एकत्र कर सुरक्षाबलों के लगभग 375 शहीद जवानों के परिजनों में से प्रत्येक शहीद जवान के परिजनों को 15 लाख रू की आर्थिक मदद पहुंचा चुके हैं। लेकिन इसके लिए ढिंढोरा पीटकर अक्षयकुमार यह मांग नहीं करते कि क्योंकि मैं देशभक्त हूं इसलिए केवल हमारी फिल्में ही देखो।
याद रहे कि रामदेव और अक्षयकुमार की आर्थिक हैसियत में जमीन आसमान का अन्तर है। लेकिन रामदेव ने आजतक क्या ठोस किया यह नहीं बताया। हां इस शर्त के साथ कि अगर मेरा साबुन तेल मंजन हल्दी धनिया मिर्चा खरीदोगे तो ये करूंगा, कहते हुए जरूर सुना है।
बात बहुत लंबी हो जाएगी इसलिए बस यह कहते हुए विराम कि रामदेव बौराओ मत और राष्ट्रवाद का धंधा मत करो। आटा दाल चावल हल्दी मिर्चा धनिया बेंचने का धंधा अगर कर रहे हो तो खुलकर कहो कि हां मैं धन्धा करने वाला धंधेबाज हूं।
23/2

No comments:

Post a Comment