Tuesday, January 9, 2018

2G घोटाला फैसले की पहेली समझनी हो तो इसे ध्यान से और पूरा पढ़िए।

30 जुलाई 2015 की रात ढाई बजे सुप्रीमकोर्ट यह फैसला करने के लिए विशेष रूप से खोला गया था कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किये जाने के बावजूद आतंकवादी याकूब मेमन को आज फांसी दी जाए कि नहीं।
याकूब मेमन की फांसी रुकवाने के लिए प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, इंदिरा जयसिंग समेत जिन वकीलों ने सुप्रीमकोर्ट को रात ढाई बजे खोलने के लिए मजबूर किया था। उन वकीलों के साथ एक वकील और था। रात ढाई बजे याकूब मेमन की तरफ से उसके पक्ष में सुप्रीमकोर्ट के जजों के सामने उसी वकील ने पैरवी प्रारम्भ की थी। उस वकील का नाम था आनंद ग्रोवर। आनंद ग्रोवर उसी इन्दिरा जयसिंग का पति है जिसने याकूब मेमन की फांसी रुकवाने के लिए उस रात ढाई बजे सुप्रीमकोर्ट खुलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इंदिरा जयसिंग को कांग्रेस ने 2009 में भारत का अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल नियुक्त किया था। उस समय राजनीतिक गलियारों और न्यायिक क्षेत्रों में यह चर्चा आम थी कि सोनिया गांधी से अपनी करीबी तथा उनकी प्रिय पात्र होने के कारण इन्दिरा जयसिंग को यह पद मिला है।
ये दोनों मियां बीबी की जोड़ी लॉयर्स कलेक्टिव नाम का एक NGO भी चलाती है। डेढ़ साल पहले 1 जून 2016 को मोदी  ने इस जोड़ी के NGO (लॉयर्स कलेक्टिव) का विदेशों से चंदा लेने का लाइसेंस (FCRA) इसलिए रद्द कर दिया था। क्योंकि NGO को विदेशों से मिली रकम का दुरूपयोग करने का दोषी पाया गया था।
आज आनंद ग्रोवर और उसकी उपरोक्त पृष्ठभूमि की चर्चा इसलिए क्योंकि कल 2G घोटाले का जो फैसला आया है उसमें CBI का वकील यही आनंद ग्रोवर था। CBI की तरफ से मुख्य पैरवी आनंद ग्रोवर ही कर रहा था। ध्यान रहे कि अपने फैसले के लिए जज ओपी सैनी ने कोर्ट में CBI की तरफ से की गई ढीली ढाली लचर उदासीन पैरवी के लिए जमकर लताड़ा है।
दो दिनों से मोदी सरकार पर आगबबूला हो रहे महानुभावों का पहला सवाल यही होगा कि सरकार ने आनंद ग्रोवर को बदल क्यों नहीं दिया.? हटा क्यों नहीं दिया.? तो उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि इस केस में CBI की तरफ से वकील के रूप में आनंद ग्रोवर की नियुक्ति मोदी सरकार ने नहीं सुप्रीमकोर्ट ने की थी। आनंद ग्रोवर को पैरवी से हटाने का कोई अधिकार सरकार के पास नहीं था। उसे हटाने या बदलने का अधिकार सुप्रीमकोर्ट के पास ही था।
मेरे ख्याल से 2G फैसले को तमिलनाडु में सरकार बनाने के जुगाड़ से लेकर ना जाने कैसे कैसे, कौन कौन से तुक्के लगा रहे राजनीतिक अनपढ़ों के दिमाग के जाले इस जानकारी के बाद काफी हद तक साफ हो जाने चाहिए।
हालांकि मेरे लिए पहेली 2G का फैसला नहीं बल्कि कुछ और ही है।
जिस आनंद ग्रोवर की पैरवी की पोल खुद जज ने बहुत विस्तार से उदाहरण देकर खोली है। उस आनंद ग्रोवर की दिल खोलकर तारीफ वो प्रशांत भूषण कर रहा है जिसने 2G घोटाले के खिलाफ PIL दायर की थी। उसके द्वारा तारीफ का कारण तो मैं काफी कुछ समझ रहा हूं। इस विषय पर आज नहीं, फिर कभी लिखूंगा।
लेकिन डॉ. सुब्रमनियम स्वामी भी आनंद ग्रोवर की प्रशंसा दिल खोलकर कर रहे हैं और CBI की कोर्ट में ढीली ढाली लचर उदासीन पैरवी के लिए आनंद ग्रोवर के बजाय उस पूर्व महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी को पूरी तरह दोषी बता रहे हैं जो 2G घोटाला केस की पैरवी से पूरी तरह अलग थे और इस केस में CBI की तरफ से पैरवी करने कभी भी कोर्ट नहीं गए।
डॉ. स्वामी ऐसा क्यों कर रहे हैं.?
इस पहेली का कोई सीधा उत्तर देने के बजाय इतना ही कहूंगा कि......  कुछ अन्य कारणों से डॉ स्वामी की सरकार से नाराजगी 50-50 ठीक है।😊 लेकिन इस मुद्दे पर अपनी उस नाराज़गी की अभिव्यक्ति ठीक नहीं😊
....छोड़िये जाने दीजिए😊
अंत मे बस इतना कहूंगा कि किसी उलझे हुए फैसले या घटनाक्रम पर अपनी टिप्पणी/प्रतिक्रिया देने में मैं इसीलिए जल्दबाजी नहीं करता।😊
23/12/2017

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