Friday, January 12, 2018

संगीन सवालों के कठघरे में खुद खड़े हो गए हैं चारों जज

सुप्रीमकोर्ट के 4 जजों की अन्तरात्मा आज अचानक जाग गयी। जागी भी कुछ इसतरह कि मानो, दिसम्बर की कड़कड़ाती ठण्ड वाली रात को नींद की गोली खाकर बेसुध सोए व्यक्ति पर आधीरात को बर्फ वाले पानी की भरी हुई बाल्टी उड़ेलकर उसे जगा दिया गया हो। और वो हड़बड़ा कर चीखता हुआ उठ बैठा हो।
जजों की अन्तरात्मा के इस जगने जगाने का मामला माजरा क्या है.? यह धीरे धीरे उजागर हो ही जाएगा। लेकिन भारत के ज्ञात इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सुप्रीमकोर्ट के 4 जजों ने सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाली।
लेकिन मेरे लिए यह घटनाक्रम आश्चर्यचकित करनेवाला नहीं है। बल्कि इस घटनाक्रम ने एक भारतीय के रूप में मुझे आहत अपमानित और लज्जित किया है।

आज अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में चारों जजों ने चीफ जस्टिस के खिलाफ शिकायतों का जो पुलिन्दा प्रेस के सामने प्रस्तुत किया उसमें एकमात्र सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण शिकायत यह ही थी कि केसों का बंटवारा ठीक से नहीं किया जा रहा।
बड़े और महत्वपूर्ण केस के बंटवारों में भेदभाव हो रहा है।
यह सुनते ही मन खिन्न हो गया। ग्लानि खीझ क्षोभ और कुंठा से भर उठा। क्योंकि अभी तक राजनीति में भ्रष्ट और स्वार्थी नेताओं को इसबात पर लड़ते रूठते हुए तो देखा था कि मुझे महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री नहीं बनाया गया। यह हम सब जानते हैं कि महत्वपूर्ण से उस नेता का इशारा आम जनता की भाषा में "मलाईदार मंत्रालय" की तरफ होता है। मलाईदार मंत्रालय का क्या अर्थ होता है.? यह सच किसी व्यक्ति से छुपा हुआ नहीं है, इसके मायने सब जानते हैं।
लेकिन सुप्रीमकोर्ट के जजों की ही दृष्टि में सुप्रीमकोर्ट में पहुंचा कोई केस महत्वहीन या महत्वपूर्ण कैसे और क्यों हो जाता है। अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि आज अचानक जागी अपनी अन्तरात्मा के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले 4 जजों का महत्वपूर्ण केसों से क्या तात्पर्य है.?
मेरा उपरोक्त संकेत का मर्म मेरे इस एक सवाल से स्पष्ट हो जाएगा।
मेरा सवाल:
इन 4 जजों की अन्तरात्मा तब क्यों नहीं जागी जब 9 अगस्त 2016 को अरुणांचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कलिखो पुल ने सुप्रीमकोर्ट में लम्बित अपने केस के लिए हो रही 80 करोड़ रुपये की सौदेबाजी के कारण आत्महत्या करने की बात अपने 60 पेज लम्बे सुसाइड नोट में लिखी थी।
यह एक सवाल जजों की अन्तरात्मा और आज उनके द्वारा उठाये गए तथाकथित महत्वपूर्ण_केसों के बंटवारे की व्याख्या कर देता है।

आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करनेवाले 4 जजों ने देश के चीफ जस्टिस समेत देश के सर्वोच्च न्यायालय के चरित्र और चेहरे को सन्देह और शंकाओं के घेरे में खड़ा कर दिया है। उनकी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से कौन मजबूत हुआ कौन नहीं.? यह तो भविष्य बताएगा। लेकिन आज हुई इन 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने देश मे सक्रिय आतंकवादियों के हमदर्द/समर्थक उस समूह को संजीवनी देने का कार्य अवश्य किया है जो अफ़ज़ल गुरु से लेकर याकूब मेमन तक, आतंकवादियों को सर्वोच्च न्यायलय द्वारा सुनाई गई सजाओं। तथा आतंकी इशरत जहां, सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर से लेकर बाटला हॉउस एनकाउंटर पर उंगली उठाता रहा है। उन निर्णयों को कठघरे में खड़ा करता रहा है। उस समूह के प्रशांत भूषण और इंदिरा जयसिंग सरीखे सदस्य आज हुई 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के खत्म होने के तत्काल बाद से उसके समर्थन में खुलकर बोल रहे हैं। उन चारों जजों की जमकर प्रशंसा कर रहे हैं। 4 जजों की आज हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के भयानक परिणाम भविष्य में भोगेगा।
मेरी उपरोक्त आशंका निराधार नहीं है। क्योंकि आज अचानक जागी उन 4 जजों की तथाकथित अन्तरात्मा से सम्बंधित इन संगीन सवालों ने चारों जजों और उनकी अन्तरात्मा को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

No comments:

Post a Comment