Saturday, September 24, 2016

पीओके पर भारतीय सेना का हमला और 20 आतंकियों की मौत : राजनीति, कूटनीति या रणनीति

अमेरिका से भीख में मिले युद्धक विमान F-16 के जत्थे पिछले 3 दिनों से इस्लामाबाद से लाहौर तक के आकाश पर लगातार रात दिन मंडरा रहे हैं. भारत से सटे पाकिस्तानी कश्मीर समेत सभी इलाकों की वायुसेवा ठप्प कर दी गयी है. इस्लामाबाद, लाहौर के मुख्य राजमार्गों का यातायात रोक कर उन्हें खाली करा लिया गया है. ट्विटर पर पाकिस्तान के दिग्गज पत्रकार और रक्षा विशेषज्ञ पाकिस्तानी जनता को ढांढ़स बंधा रहे हैं कि घबराइये मत यह पाकिस्तानी सेना का सामान्य युद्धाभ्यास है.
उपरोक्त सभी तथ्य पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया के समाचार माध्यमों में छाये हुए हैं.
आखिर क्यों...???

नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर भारतीय सेना द्वारा आतंकी कैम्पों पर किये गए भयंकर हमले की अपनी पहली खबर पर न्यूजएजेंसी Quint की वेबसाइट डटी हुई है. बरखा, राजदीप, रविश, प्रवीण स्वामी सरीखे अनेक प्रेस्टियूट्स की फौज द्वारा उसको नकारने की कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब Quint कल दिन भर देती रही और अपने दावे पर डटी हुई है...
इस सन्दर्भ में मेरा मत.....

1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत में पाकिस्तान रेडियो भी बहुत सुना जाता था. किस्सा उसी समय का है...... वो मेरे बचपन के दिन थे, लखनऊ रेलवे स्टेशन के बिलकुल बगल की रेलवे कालोनी में ही निवास था. उन दिनों भारत पाक युद्ध चरम पर था. तब एक दिन अचानक पाकिस्तानी रेडियो पर “इंशाल्लाह…” की दहाड़ के साथ समाचार गूंजा कि… पाकिस्तानी बमवर्षक विमानों ने लुधियाना आगरा और लखनऊ पर भारी बमबारी की है जिसके कारण लुधियाना का सैनिक हवाई अड्डा और आगरा तथा लखनऊ का रेलवे स्टेशन जल कर खाक़ हो गया है……
अब आगरा और लुधियाना के विषय में तो किसी को कोई जानकारी नहीं थी लेकिन लखनऊ के रेलवे स्टेशन के बिलकुल बगल में तो हमलोग रह ही रहे थे और वहाँ जनजीवन बिलकुल सामान्य था. अतः समाचार सुनकर एक क्षण को सकते में आ गए सभी कालोनी वाले कमरों से निकलकर आसमान ताकने लगे थे और अगले ही क्षण ठहाके लगा रहे थे… बाद में लुधियाना और आगरा से सम्बन्धित पाकिस्तानी रेडियो के बेशर्म झूठ की भी धज्जियां उड़ गयी थीं...

आज यह किस्सा इसलिए क्योंकि अपनी सैन्य ताक़त को लेकर पाकिस्तान अपनी जनता से हमेशा झूठ ही बोलता रहा है. आज भी उसकी स्थिति वही है. इसीलिए उड़ी हमले के बाद भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के समाचार पर कुछ लोग यह कहकर सवाल उठा रहे हैं कि, पाकिस्तान आखिर चुप क्यों है…???
...तो मित्रों यह भी समझ लीजिये कि पिछले डेढ़ दो दशक से पाकिस्तानी सेना इसी दावे और वायदे के सहारे खुद पाकिस्तानी जनता में खुद को प्रासंगिक और प्रभावी बनाये हुए है कि… “….यदि भारत ने कोई हिमाकत की तो हम भारत पर एटम बम से हमला कर देंगे…” हालांकि पाकिस्तानी फौजी जनरल यह भी जानते हैं कि अपने देश की जनता से वो सरासर सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं. कारगिल युद्ध इसकी बेहतरीन मिसाल है. तब लगातार दो महीने तक भारत से युद्ध के बाद मिली करारी पराजय के बाद भी पाकिस्तान ने एटम बम नाम की अपनी चिड़िया का इस्तेमाल करना तो दूर, पूरे युद्ध के दौरान उसका जिक्र तक नहीं किया था.
जाहिर है कि ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी जनता उससे पूछती कि भारत की फौज द्वारा इतनी बुरी तरह जुतियाये जाने के बावजूद भी तुमलोगों ने एटम बम इस्तेमाल क्यों नहीं किया..???
ऐसे सवालों से बचने/मुंह चुराने के लिए पाकिस्तान ने पाकिस्तानी सेना के पहचानपत्र समेत बाकायदा फौजी वर्दी में कारगिल युद्ध में मारे गए अपने सैकड़ों सैनिकों की लाशें यह कहकर वापस लेने से मना कर दिया था कि यह हमारे सैनिक ही नहीं हैं, पाकिस्तानी फौज का इससे कोई लेनादेना नहीं है.
इसबार भी स्थिति कुछ वैसी ही है. भारत के सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तानी हल्ले पर वहाँ की जनता फौज से उसके “एटम बमी” राग वाले सवाल पूछने लगेगी, जिसका जवाब फौजी हुक्मरानों के पास नहीं है.
सर्जिकल स्ट्राइक के समाचार पर दूसरी शंका भारतीय सेना के प्रवक्ता द्वारा खण्डन को लेकर है.

...तो यह भी याद करिये कि… म्यांमार सरकार को सूचना देकर उसकी सहमति से म्यांमार में घुसकर किये गए सैन्य ऑपरेशन की पुष्टि भारत सरकार ने ना तब की थी…. ना आजतक की है… ना कभी करेगी…
कुछ अंतरराष्ट्रीय बाध्यताएं हैं, जिनका पालन करना ही पड़ता है. और हम सबको यह सच भी स्वीकारने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि हम अमेरिका की तरह राजनीतिक कूटनीतिक ताक़तवर नहीं हैं.
इसीलिए इतनी गम्भीर स्थिति के बावजूद रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने विशेष समय निकालकर भाजपाई प्रवक्ताओं से स्वयं मिलकर उन्हें कुछ निर्देश दिए, अभी तक उजागर नहीं हुआ कि वो निर्देश क्या थे. लेकिन आज़ाद भारत के इतिहास में यह पहला और अकेला उदहारण है कि, सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ताओं को पार्टी अध्यक्ष या कोई वरिष्ठ पार्टी नेता के बजाय देश का रक्षामंत्री स्वयम निर्देश देने पहुंचा हो. यह सामान्य नहीं असाधारण घटनाक्रम था. दरअसल रक्षामंत्री को यह असाधारण कदम पूर्व में की गयी भाजपाई प्रवक्ताओं की उसी मूर्खता के कारण उठाना पड़ा जिसका खामियाजा भारत को तब भोगना पड़ा था जब म्यांमार की कार्रवाई का नगाड़ा पीटते हुए भाजपाई प्रवक्ता न्यूजचैनलों पर वाहवाही लूटने में जुट गए थे. इसीलिए इसबार रक्षामंत्री ने उन सबपर नकेल कसी हुई है.

अब बात समाचार की पुष्टि की….
...तो सबसे पहले बात उस वेबसाइट Quint की जिसने यह खबर उजागर की और जिसके मालिक राघव बहल हैं. राघव बहल कोई ऐरा गैरा नाम नहीं है. यह वह आदमी है जो पूरे CNN IBN ग्रुप का संस्थापक/मालिक रहा है. उसने अपनी वेबसाइट पर इतनी संवेदनशील और गम्भीर यह खबर यूं ही नहीं डाल दी है. खबर में यह स्पष्ट भी किया है कि… खबर सेना के सूत्र से मिली सूचना पर ही लिखी गयी है.
Quint वेबसाइट की खबर की पुष्टि एक और महत्वपूर्ण तथ्य से भी होती है. 20 सितम्बर की रात के बाद से ही पाकिस्तानी कब्ज़े वाले कश्मीर गिलगिट बल्टिस्तान में पाकिस्तान ने हवाई जहाजों की उड़ानों को पूरी तरह से रोक दिया है. आखिर क्यों.?
दरअसल कुछ बातें सच्चाइयां ऐसी होती हैं जिनका दावा आप सबकुछ जानते हुए भी नहीं कर सकते हैं.
अपरोक्ष रूप से सूचना देती यह खबर छापकर भी राघव बहल ने बड़ा जोखिम उठाया है, जिसके परिणाम सकारात्मक भी हो सकते हैं, नकारात्मक भी हो सकते हैं.

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