Tuesday, December 20, 2016

देश की आंखों में धूल झोंक रहे हैं राहुल गाँधी.?

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गाँधी के आरोप वाकई सच हैं या फिर राहुल गाँधी पिछले ढाई वर्षों से देश से लगातार झूठ बोल रहे हैं.? 
इस प्रश्न का जवाब जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि देश के सर्वाधिक धनाढ्य परिवारों की सम्पत्ति पिछले 12 वर्षों के दौरान किस सरकार के कार्यकाल में कितनी बढ़ी... ?
18 दिसम्बर को उत्तरप्रदेश के जौनपुर में कांग्रेस की रैली में बोलते हुए राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि केंद्र में अपनी सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की 60% संपत्ति देश के केवल 1% लोगों को दे दी है तथा इस सम्पत्ति का 60% भाग देश के केवल 50 रईसों को दे दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी के खिलाफ यह आरोप राहुल गाँधी ने पहली बार नहीं लगाया है. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के तत्काल बाद से ही राहुल गाँधी और उनकी कांग्रेसी फौज ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अपने ऐसे आरोपों की बौछार प्रारम्भ कर दी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश के कुछ बड़े औद्योगिक घरानों विशेषकर अम्बानी और अडानी के हित साधने का आरोप कांग्रेस लगातार लगाती रही है...
क्या राहुल गाँधी के उपरोक्त आरोप वाकई सच हैं या फिर राहुल गाँधी पिछले ढाई वर्षों से देश से लगातार झूठ बोल रहे हैं.? इस प्रश्न का जवाब जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि देश के सर्वाधिक धनाढ्य परिवारों की सम्पत्ति पिछले 12 वर्षों के दौरान किस सरकार के कार्यकाल में कितनी बढ़ी... ?
उन 12 वर्षों से सम्बंधित तथ्य कुछ इस प्रकार हैं...
सबसे पहले बात देश की 60 % सम्पत्ति पर देश के 1 % धनाढ्य परिवारों का कब्ज़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करवाये जाने के आरोप की. अपने इस आरोप के पक्ष में राहुल गाँधी ने कोई तथ्य कोई साक्ष्य तो देश के समक्ष आजतक प्रस्तुत नहीं किया है किन्तु 2014 में यूपीए सरकार के 10 वर्षों के शासनकाल के तत्काल बाद प्रकाशित एक रिपोर्ट से देश के समक्ष यह तथ्य अवश्य उजागर हुआ था कि... 2014 तक देश की 50% सम्पत्ति पर देश के 1% धनाढ्य परिवारों का कब्ज़ा हो चुका था. (इस लिंक पर आंकड़े की पुष्टि की जा सकती है http://www.thehindu.com/data/indias-staggering-wealth-gap-in-five-charts/article6672115.ece
नवम्बर 2005 में प्रकाशित एक तुलनात्मक रिपोर्ट में अगस्त 2004 में देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों की कुल सम्पत्ति का आंकड़ा 43.5 बिलियन डॉलर था जो अगस्त 2005 में बढ़कर 70.13 बिलियन डॉलर हो गया था (इस लिंक पर आंकड़े की पुष्टि की जा सकती है. http://www.business-standard.com/special/bill2005/bill-05_01.pdf ) अर्थात अगस्त 2004 से अगस्त 2005 के मध्य, केवल एक वर्ष में देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों की कुल सम्पत्ति लगभग 58% की जेट गति से बढ़ी थी और देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों ने केवल एक वर्ष में ही 26.6 बिलियन डॉलर की मोटी कमाई अपनी संपत्ति में जोड़ ली थी. यहां यह उल्लेख आवश्यक है कि मई 2004 में अटल सरकार की सत्ता से विदाई हो चुकी थी और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर मनमोहन सिंह ने सम्भाल ली थी. अर्थात केवल एक वर्ष में अपनी संपत्ति में 58% वृद्धि कर के 26.6 बिलियन डॉलर की मोटी कमाई करने का कमाल देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के शासनकाल के पहले वर्ष में ही कर दिखाया था.
इसके बाद इन परिवारों की संपत्ति में वृद्धि की यह रफ्तार थमी नहीं थी. सितंबर 2014 में देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों की संपत्ति का आंकड़ा 346.44 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था ( इस लिंक पर आंकड़े की पुष्टि की जा सकती है. http://www.jagranjosh.com/current-affairs/forbes-india-released-the-100-richest-indian-list-2014-1411727003-1 ). अर्थात अगस्त 2004 से सितंबर 2014 के मध्य देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों ने लगभग 302.9 बिलियन डॉलर अपनी संपत्ति में जोड़ लिए थे. अर्थात 2004 से 2014 के मध्य की दस वर्षों की समयावधि में देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवार प्रतिवर्ष औसतन लगभग 30.29 बिलियन डॉलर अपनी संपत्ति में जोड़ रहे थे. इन परिवारों की संपत्ति में हुई इस बेतहाशा वृद्धि का उपरोक्त आंकड़ा इसलिए और भी ज्यादा आश्चर्यचकित करता है क्योंकि इन दस वर्षों के दौरान भारत पर बाहरी कर्ज के आंकड़े में लगभग 4 गुना वृद्धि हुई थी. वित्तीय वर्ष 2004 की समाप्ति के समय भारत पर 112.7 बिलियन डॉलर का बाह्य ऋण था जो मार्च 2014 में बढ़कर 446.20 बिलियन डॉलर हो चुका था. (इस लिंक पर आंकड़े की पुष्टि की जा सकती है http://www.tradingeconomics.com/india/external-debt ) अर्थात 2004 से 2014 के मध्य यूपीए के शासनकाल की दस वर्षों की समयावधि में देश के क़र्ज़ में औसतन लगभग 33.35 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी. क्या राहुल गाँधी मनमोहन सिंह और उनकी कांग्रेसी फौज देश को यह बताएगी कि उनके 10 वर्ष के शासन में जब देश के क़र्ज़ में लगभग 333.5 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी तब उसी समयावधि में देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों की संपत्ति में लगभग 302.9 बिलियन डॉलर की वृद्धि कैसे हो रही थी.? 
पिछले ढाई वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऐसे आरोप लगा रहे राहुल गाँधी क्या अपनी सरकार के दस वर्षों के शासन से सम्बन्धित उपरोक्त संगीन सवालों का जवाब देश को देंगे.? 
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के लगभग ढाई वर्ष के शासनकाल के पश्चात् देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों की संपत्ति का आंकड़ा 381.34 बिलियन डॉलर पर पहुंचा है. यह आंकड़ा 2014 के आंकड़े से 34.9 बिलियन डॉलर अधिक है. अर्थात उन घरानों की संपत्ति में वृद्धि लगभग 13.96 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष की दर से हुई है. जबकि यूपीए के 10 वर्ष लम्बे शासनकाल में यह दर इससे दोगुने से भी अधिक लगभग 30.29 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष थी.

क्योंकि 2004 से 2014 के मध्य, यूपीए के शासनकाल की दस वर्षों की जिस समयावधि में देश के क़र्ज़ में जब औसतन लगभग 33.35 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष की वृद्धि हो रही थी. तब उसी यूपीए के शासनकाल के उन्हीं दस वर्षों की उस समयावधि में देश के सबसे धनाढ्य 100 परिवारों की सम्पत्ति में औसतन लगभग 30.29 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष की वृद्धि हो रही थी. इसलिए आज यह प्रश्न स्वाभाविक है कि... क्या तत्कालीन यूपीए सरकार अपने दस वर्षों के शासनकाल के दौरान देश की 60-70% संपत्ति देश के सबसे धनाढ्य उन 100 परिवारों को दे रही थी.?
राहुल गाँधी को इस सवाल का जवाब देश को देना चाहिए क्योंकि पिछले ढाई वर्षों से वो यही आरोप देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ लगा तो रहे हैं किन्तु एक भी ऐसा साक्ष्य या तथ्य प्रस्तुत नहीं कर सके हैं, जिसतरह के उपरोक्त साक्ष्य व तथ्य उनकी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दस वर्षों के शासनकाल के दस्तावेजों में दर्ज हैं...


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