Sunday, April 9, 2017

यूपी को रास आ गए योगी

आशा और आशंका के श्वेत-श्याम रंगों से सजी अपनी धार्मिक सामाजिक राजनीतिक छवि की अत्यंत चर्चित और विवादित छवि की पूँजी के साथ 19 मार्च को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने जब अपने राजनीतिक जीवन की नई पारी प्रारम्भ की तो उनके समर्थकों और आलोचकों के साथ ही साथ देश और उत्तरप्रदेश की जनता का परिचय योगी आदित्यनाथ की धार्मिक सामाजिक राजनीतिक छवि के बजाय उनके व्यक्तित्व के एक ऐसे पक्ष से हुआ है जिससे वह सभी पूरी तरह अपरिचित और अनभिज्ञ थे. योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व का यह पक्ष है उनकी अदभुत प्रशासनिक क्षमता दक्षता और कर्मठता.

11 मार्च को घोषित हुए उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणामों के बाद से 19 मार्च की शाम तक, दिल्ली से लखनऊ वाया बनारस, लगातार 9 दिनों तक उत्तरप्रदेश के भावी मुख्यमंत्री के नाम की अटकलों और अफवाहों की रस्सियों के सहारे झूलती रही संभावनाओं की कोख ने उत्तरप्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्म दे दिया था. अपने तीखे और तेज़ाबी राजनीतिक धार्मिक तेवरों के कारण भगवा वस्त्रधारी योगी आदित्यनाथ का व्यक्तित्व अपने आलोचकों और समर्थकों के लिए किसी ज्वालामुखी से कम कभी नहीं रहा. उनके समर्थक उन्हें प्रखर राष्ट्रवाद और प्रचण्ड हिंदुत्व के उबलते हुए लावे से लबालब ज्वालामुखी से कम नहीं मानते. इसके ठीक विपरीत उनके आलोचक उन्हें एक ऐसे ज्वालामुखी के रूप में चिन्हित करते हैं जो मुस्लिम विरोधी कट्टर साम्प्रदायिकता के खौलते हुए लावे से लबालब है.
योगी आदित्यनाथ से सम्बन्धित अपनी उपरोक्त धारणाओं के कारण 19 मार्च को उत्तरप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के उदय के साथ ही अगर उनके आलोचक आशंकाओ से ग्रसित थे तो उनके समर्थकों के उत्साह और उमंग की लहरें आसमान चूमने को आतुर थीं.
उत्तरप्रदेश की सत्ता सँभालने के पश्चात् केवल 20 दिनों में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने अपनी जिस प्रशासनिक क्षमता दक्षता और कर्मठता का प्रदर्शन किया है उसने प्रदेश में उनकी लोकप्रियता को अपरिमित ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. उनके कट्टर आलोचक भी उनकी आलोचना का कोई कारण नहीं खोज सके हैं. परिणामस्वरूप दबे स्वरों में ही सही किन्तु उनकी सराहना कर रहे हैं.
यह सब अकारण अथवा पार्टी या सरकारी तन्त्र के किसी प्रचार अभियान की सुनियोजित रणनीति के कारण नहीं हो रहा है. इसके बजाय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस शैली में अपनी नई पारी जिस गति से प्रारम्भ की है उसका परिणाम है उनकी बढ़ती हुई लोकप्रियता.
उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों में लघु और सीमान्त किसानों की कर्ज़ माफ़ी के भाजपा के वायदे ने भाजपा को मिली ऐतिहासिक विजय में निर्णायक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अतः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सत्ता सँभालने के पश्चात् किसानों की कर्ज़ माफ़ी के अपने वायदे की पूर्ति करना उनके लिए पहली और सबसे बड़ी चुनौती बन गया था. पिछली सपा सरकार द्वारा छोड़े गए खाली खजाने ने उनकी चुनौती को कई गुना बढ़ा दिया था. शपथ ग्रहण के पश्चात् 16 दिनों तक अपने मन्त्रिमण्डल की पहली कैबिनेट बैठक टालते रहे मुख्यमंत्री योगी के आलोचकों और विपक्षी दलों तथा मीडिया के एक वर्ग ने कैबिनेट के बैठक ना करने को योगी की कमजोरी के रूप में प्रचारित करना प्रारम्भ कर दिया था. ऐसी अटकलें और अफवाहें गर्म की जाने लगीं थीं कि योगी सरकार किसानों की कर्ज़ माफ़ी के अपने वायदे की पूर्ति से बचने के बहाने खोज रही है. किन्तु 17वें दिन अपनी कैबिनेट की पहली बैठक में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आलोचकों को यह सन्देश दे दिया कि "योगी के कार्यों, उनकी नीयत और नीतियों के आंकलन में जल्दबाजी उचित नहीं है. अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लघु व सीमांत किसानों को कर्जमाफी की सौगात देते हुए उनका एक लाख रुपये तक का फसली ऋण माफ कर दिया। साथ ही साथ उन किसानों का पूरा कर्ज माफ कर दिया है, जिन्हें बैंकों ने एनपीए घोषित कर दिया था। सरकार ने फसली ऋण के लिए 30,729 करोड़ और एनपीए ऋण के लिए 5630 करोड़ यानी कुल 36,359 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है. योगी सरकार के इस फैसले से से 86 लाख से अधिक उन लघु व सीमांत किसानों को लाभ होगा, जिन्होंने बैंकों से फसली ऋण ले रखा है। ऋणमाफी में सभी बैंकों से लिया गया ऋण शामिल होगा। ----ढाई एकड़ तक सीमांत किसानमंत्रियों ने बताया कि एक हेक्टेयर यानी 2.50 एकड़ तक के सभी किसान सीमांत श्रेणी में आएंगे, जबकि दो हेक्टेयर यानी पांच एकड़ तक के सभी किसान लघु श्रेणी में आएंगे.

योगी सरकार ने किसानों को केवल कर्ज़ माफ़ी की ही सौगात नहीं दी बल्कि इस वर्ष गेंहूँ की सरकारी खरीद का लक्ष्य लगभग ढाई से तीन गुना बढ़ाकर 80 लाख मीट्रिक टन कर दिया है. पहले यह लक्ष्य 20 से 30 लाख मीट्रिक टन तय किया जाता था, उसे भी पूरा नहीं किया जाता था.
पिछले कई वर्षों से उत्तरप्रदेश में भ्रष्टाचार का एक बड़ा केंद्र बन चुकी गेंहू की सरकारी खरीद की प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री योगी ने इसबार अपने एक फैसले से निर्णायक प्रहार कर उसपर प्रभावी अंकुश लगाने में सफलता पायी है. सरकारी क्रय केंद्रों पर अपना गेंहू बेंचने वाले किसानों को उनके द्वारा बेंचे गए गेंहू के मूल्य की धनराशि अब सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजी जाएगी. भुगतान की यह प्रक्रिया तीन से चार दिन में पूरी की जाएगी. उत्तरप्रदेश में अप्रैल से लागू हुए योगी सरकार के इस नियम ने सरकारी क्रय केंद्रों में सक्रिय और प्रभावी रहने वाले बिचौलियों को तो लगभग समाप्त कर दिया है. अपने इस फैसले को लागू करने के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचे को केवल 12 दिनों की समयावधि में तैयार करवा के योगी ने अपनी प्रशासनिक दृढ़ता एवम राजनीतिक इच्छाशक्ति का सफल प्रदर्शन किया है.
सत्ता सँभालने के तत्काल बाद ही योगी आदित्यनाथ ने एलान किया था कि 'हम दो महीने में ऐसे हालात पैदा करेंगे कि लोग बदलाव महसूस करेंगे और जानेंगे कि एक सरकार को कैसे काम करना चाहिए.' अपने इस एलान की गम्भीरता का प्रमाण योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल के प्रथम 15 दिनों की समयावधि में ही दे भी दिया. रोजाना लगभग 18 घण्टे कार्य कर के उन्होंने अपने प्रारम्भिक 15 दिनों के कार्यकाल में ही लगभग 100 से अधिक महत्वपूर्ण फैसले किये. उन फैसलों का सफलतापूर्वक क्रियान्वन सुनिश्चित किया. ऐसा कर के उन्होंने अपने आलोचकों और राजनीतिक विश्लेषकों समेत सबको चौंकाया है.
सत्ता के संरक्षण और सहयोग से हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट के आदेशों तथा नियमावलियों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रदेश में गुंडों अपराधियों द्वारा वर्षों से संचालित किये जाते रहे सैकड़ों अवैध बूचड़खानों तथा पशु तस्करों के संगठित गिरोहों पर योगी सरकार ने केवल कुछ दिनों में ही अत्यंत कठोरता के साथ कानून का शिकंजा कसा और उनको बन्द करवाया है. अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश सरकार अवैध बूचड़खानों पर कोई नरमी नहीं बरतने जा रही है। हां, लाइसेंस के नवीनीकरण पर कोई एतराज नहीं होगा। इसके लिए हाई पावर कमेटी बनाई गई है जो यह सुनिश्चित करेगी कि जिन बूचड़खानों के पास लाइसेंस है वो बूचड़खाने सुप्रीमकोर्ट तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं, उन दिशा निर्देशों का उल्लंघन करनेवाले बूचड़खानों को सरकार नहीं चलने देगी. मुख्यमंत्री योगी की इस प्रशासनिक दृढ़ता की सराहना प्रदेश का हर नागरिक कर रहा है. 
पिछले कुछ वर्षों से किशोरियों युवतियों महिलाओं लिए भय और आतंक पर्याय बन चुके जिन सड़कछाप लफंगों/शोहदों के खिलाफ कार्रवाई करने से प्रदेश की पुलिस राजनीतिक दबाव में कतराती थी, उनकी अराजक कारगुजारियों के खिलाफ अपनी आँखें बन्द किये रहती थी. वही पुलिस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के पश्चात् उन सड़कछाप लफंगों/शोहदों पर कहर बनकर टूट पड़ी. इसका सुखद परिणाम यह निकला कि योगी के सत्ता सँभालने के केवल 72 घण्टों के भीतर ही प्रदेश के स्कूल, कॉलेजों, पार्कों, बाजारों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों से उन सड़कछाप लफंगों/शोहदों की फौज पूरी तरह गायब हो गयी है. सड़कों पर अब शोहदों/लफंगों के बजाय पुलिस के दस्ते गश्त करते दिखाई दे रहे हैं. बीती 11 मार्च को उत्तरप्रदेश में हुए ऐतिहासिक सत्ता परिवर्तन की प्रचण्ड आंधी के पश्चात् प्रदेश के सामाजिक प्रशासनिक राजनीतिक मौसम में हुए ऐतिहासिक परिवर्तनों का यदि प्रथम शब्दचित्र बनाया जाये तो निस्संकोच यह कहा जा सकता है कि स्कूल कॉलेज और शॉपिंग मॉल्स, बाजार जाने वाली किशोरियों युवतियों और महिलाओं के चेहरे इनदिनों खिले हुए हैं. भरपूर आत्मविश्वास से चमकते उनके चेहरे भयमुक्त मुस्कुराहट से सजे हुए हैं. पिछले कई वर्षों से लुटेरों हत्यारों भूमाफियाओं पशु तस्करों के खौफ के साये में ही जीने को विवश रहा हर आम नागरिक अब स्वतन्त्र और सुरक्षित वातावरण में भयमुक्त उन्मुक्तता का भरपूर आनंद ले रहा है
समयबद्धता व स्वच्छता को अपनी प्राथमिकता घोषित कर चुके योगी आदित्यनाथ द्वारा किये गए सचिवालय समेत पुलिस थाने व मेडिकल कॉलेज के आकस्मिक निरीक्षण के फलस्वरूप इन स्थानों पर पसरी रहनेवाली पान तम्बाकू की पीकों से सजी गन्दगी गायब हो गयी है. कार्यालयों चिकित्सालयों और विद्यालयों में अधिकारी कर्मचारी अभियंता अध्यापक और डॉक्टरों की समयबद्ध उपस्थिति के चलते प्रदेश की जनता को सुखद परिवर्तन की बयार बहती दिखने लगी है...इसे उत्तरप्रदेश के अच्छे दिन आने का संकेत माना जा रहा है.

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