Saturday, April 7, 2018

मोदी विरोध का अपना ज़हर जनता में मत फैलाओ पुण्यप्रसून बाजपेयी

3 वर्ष पूर्व 8 अप्रैल 2015 से देश में लागू हुई थी मुद्रा योजना। गरीबों को स्वरोजगार के लिए 10 हज़ार से 10 लाख रूपये तक का कर्ज़ बिना किसी गारंटी के देने की यह योजना अपने उद्देश्य में कितनी सफल हुई कितनी असफ़ल हुई.? इसका लेखाजोखा लेकर ABP न्यूज पर कल 6 अप्रैल को पुण्यप्रसून बाजपेयी प्रकट हुआ था और उसने मुद्रा योजना को पूरी तरह असफल, अपने उद्देश्य में विफल तथा सरकारी धांधली और बैंक कर्मियों के भयंकर भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया था।
अपने इस निष्कर्ष के पक्ष में उसने तीन तथ्य प्रस्तुत किये थे।
पहला तथ्य यह था कि मुद्रा योजना में अबतक जितने कर्ज़ बांटे गए हैं उनमें से 39 लाख 90 हज़ार कर्ज़ NPA बन चुके हैं, अर्थात बेंकों द्वारा कर्ज़ दी गयी यह राशि वापस नहीं आ रही।
दूसरा तथ्य यह था कि मुद्रा योजना में 92% कर्ज 50 हज़ार या उससे कम की राशि के बांटे गए हैं। उसका सवाल था कि 50 हज़ार या उससे कम राशि में क्या और कैसा स्वरोजगार कर सकता है।

तीसरे_तथ्य  में बाजपेयी 5-6 ऐसे लोगों को लेकर अपने कार्यक्रम में प्रस्तुत हुआ था जिन्होंने मुद्रा योजना के लिए कर्ज मांगा था लेकिन उन्हें नहीं दिया गया।

सबसे पहले बात पहले तथ्य की। ध्यान रहे कि 8 अप्रैल 2015 को लागू हुई मुद्रा योजना में अबतक लगभग 11 करोड़ लोगों को लगभग 4.5 लाख करोड़ रूपये का कर्ज़ बांटा जा चुका है। कल रात अपनी हथेली रगड़ कर कूल्हे उछालते हुए पुण्यप्रसून बाजपेयी जब बैंकों को वापस नहीं मिल रहे कर्ज़ की संख्या 39 लाख 90 हज़ार बता रहा था तो ऐसा लग रहा था कि कोई बहुत बड़ी संख्या बता रहा है जबकि यह संख्या उन कर्ज़दारों की संख्या का केवल 3.62% है जिन्होंने मुद्रा योजना में कर्ज लिया है। बिना किसी गारंटी के कर्ज देने की किसी सरकारी योजना के लागू होने के 3 वर्ष बाद बैंकों का कर्ज यदि 96.3% कर्जदार नियमित रूप से चुका रहे हैं तो इसका बहुत सीधा सा अर्थ है कि योजना अपने उद्देश्य में बहुत सफल हुई है तथा बैंकों द्वारा बांटे गए कर्ज़ का सदुपयोग ही हो रहा है। उपरोक्त तथ्य यह भी बता रहा है कि मुद्रा योजना का ऋण देने में पात्रों के चयन में सावधानी बरती गयी है और पात्र व्यक्ति को ही कर्ज़ मिला है। यही कारण है कि 96.32% कर्ज़दार ईमानदारी से अपना कर्ज़ वापस कर रहे हैं।

अब बात दूसरे तथ्य की कि क्या 50 हज़ार या उससे कम की राशि से क्या कोई व्यक्ति कोई स्वरोजगार प्रारम्भ कर सकता है, क्या ऐसा सम्भव है.?
उपरोक्त प्रश्न के उत्तर में सिर्फ इतना ही कहना पर्याप्त समझता हूं कि नियमित रूप से कर्ज़ वापस कर रहे मुद्रा योजना के 96.32% कर्ज़दारों की संख्या ही यह बता रही है कि हां 50 हज़ार या उससे कम की राशि में भी स्वरोजगार प्रारम्भ किया जा सकता है और उसे सफलतापूर्वक प्रारम्भ चलाया भी जा सकता है। ABPन्यूज और उसका नया रंगरूटिया पुण्यप्रसून बाजपेयी सम्भवतः यह भूल गए हैं कि प्रधानमंत्री ने जिस दिन यह योजना लागू की थी उसी दिन यह स्पष्ट कर दिया था कि मूलतः यह योजना समाज के सबसे गरीब और पिछड़े वर्ग की रोजगार की समस्या के समाधान के लिए प्रारम्भ की जा रही है।

अन्त में बात तीसरे तथ्य की। एकबार फिर उन्हीं 96.32% कर्ज़दारों की संख्या के उदाहरण देकर ही अपना जवाब देना चाहूंगा कि जो स्वयं द्वारा दिया गया अपना कर्ज़ बैंकों को ईमानदारी से वापस कर रहे हैं। उपरोक्त संख्या इसबात का साक्ष्य है कि मुद्रा योजना के कर्ज़दारों के चयन में निश्चित रूप से सतर्कता बरती गई है। अन्यथा जिस देश में ट्रेन के शौचालयों में टीन का मग्घा तक जंजीर से बांध कर रखा जाता हो और एयरकंडीशंड चेयर कार में सफर करनेवाले तथाकथित धनाढ्य अभिजात्य वर्ग के चोर सीटों पर लगे इयरफोन उखाड़कर अपने साथ ले जाते हों उस देश में बिना गारंटी के मिल रहे हज़ारों रूपयों के कर्ज यदि आंख बंद कर के बांट दिए गए होते तो उनका क्या हश्र होता.? यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है।

इसीलिए रात में मुद्रा योजना के खिलाफ ज़हर उगलती पुण्यप्रसून बाजपेयी की रिपोर्ट ABP न्यूज पर देखने के बाद मैंने लिखा था कि मोदी विरोध की मंडी बन चुके ABP न्यूज पर पुण्यप्रसून बाजपेयी जिन आंकड़ों की दुकान सज़ा कर जनता को ज़हर बेचने का पत्रकारीय कुकर्म कर रहा था वही आंकड़े मुद्रा योजना की जबरदस्त सफलता की कहानी सुना रहा हैं।
ध्यान रखिये कि मैंने अपनी बात उसी पुण्यप्रसून बाजपेयी द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों को ही आधार बनाकर कही है, अपनी तरफ से कोई नया आंकड़ा नहीं दिया है।

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