Saturday, December 16, 2017

देश मे आग लगाने का हुनर तो कांग्रेस जानती है

राहुल गांधी ने आज कांग्रेस अध्यक्ष पद सम्भालते ही कहा कि BJP देश में आग लगा रही है।
सोनिया गांधी ने इस अवसर पर कहा कि BJP संवैधानिक शक्तियों/संस्थाओं को कुचल रही है।
मां बेटे की जोड़ी अपना उपरोक्त कांग्रेसोपदेश देते समय सम्भवतः स्मृतिलोप और शून्य इतिहास बोध सरीखी मानसिक विकृति से ग्रसित थे।
अतः इस जोड़ी को याद दिलाना आवश्यक है कि...
इस देश में आतंकवाद की देशव्यापी आग पहली बार 1981 में भड़की थी और 1981 से 1995 तक लगातार देश को जलाती रही थी। आतंकवाद की उस भयानक आग का नाम था जनरैल सिंह भिंडरावाले। इस आग में लगभग 20 से अधिक निर्दोष नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
राहुल गांधी और सोनिया गांधी की जोड़ी शायद यह सोचती है कि लोग सम्भवतः भूल गए होंगे कि उस दौर में भिंडरावाले को रूपया देने की बात संजय गांधी ने स्वयं स्वीकारी थी। भिंडरावाले ने दल खालसा नाम के अपने आतंकी गुट की जब स्थापना की थी उस समय चंडीगढ़ के पंचतारा होटल में हुई उसकी प्रेस कॉन्फ्रेंस के खर्च का भुगतान तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के गृहमंत्री जैल सिंह ने बाकायदा अपने चेक से किया था। 9 सितम्बर 1981 को जनरैल सिंह भिंडरावाले ने देश के प्रख्यात पत्रकार और पंजाब केसरी अखबार के संस्थापक सम्पादक लाला जगत नारायण की निर्मम हत्या कर दी थी किन्तु इस हत्याकांड में गिरफ्तारी के कुछ ही घण्टों बाद पंजाब की तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के हस्तक्षेप के कारण उसको थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया गया था। अपनी रिहाई पर वो अपने सैकड़ों हथियारबंद गुर्गों के जुलूस के साथ थाने से बाहर निकला था और सड़कों पर हवाई फायर करती राइफलों और बन्दूकों के आतंकी धमाकों की दहशत फैलाते हुए अपने डेरे पर चला गया था।
2 साल बाद 6 जून 1984 को जब जनरैल सिंह भिंडरावाले को मुठभेड़ में मारा गया तब देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। उस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 83 सैनिक जवान शहीद हुए थे तथा 240 जवान गम्भीर रूप से घायल हुए थे। पंजाब में भिंडरावाले नाम की यह आग कांग्रेस ने इसलिए लगाई भड़कायी थी ताकि 1977 में पंजाब में सत्तारुढ़ हुई अकाली दल की सरकार को गिराकर अकाली दल को खत्म किया जाए।
अतः  मां- बेटे सोनिया-राहुल की जोड़ी को यह जानना समझना स्वीकारना होगा कि क्षुद्र राजनीतिक हथकण्डों के लिए देश मे आग लगाने की खतरनाक सियासी साज़िशों का खूनी खेल की शुरुआत कांग्रेस ने ही की और शातिर खिलाड़ी की तरह उस आग से खेलती रही इसकी कहानी कश्मीर और असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों के चप्पे चप्पे पर चस्पा है।

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