Wednesday, December 20, 2017

Part-1 लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को खोखला कर रहीं दीमकों को पहचानिए

भाग-1
राहुल गांधी और उनके मीडियाई चीयर लीडर्स के सफेद झूठ का स्याह सच
गुजरात चुनाव के दौरान, गुजरात चुनाव की मतगणना के दौरान तथा गुजरात चुनाव के परिणामों के उपरान्त मीडिया का एक बड़ा वर्ग देश की जनता को दो बातें समझाने का प्रयास प्राणपण से करता दिखा।
पहली बात यह कि
मीडिया का यह बड़ा वर्ग यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहा था और कर रहा है कि इन चुनावों में राहुल गांधी ने लगातार विकास को ही अपने चुनावी प्रचार के केंद्र में रखा, केवल विकास की ही बात की लेकिन भाजपा विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के सवालों/आरोपों का जवाब नहीं दिया और पाकिस्तान की बात कर के चुनाव प्रचार का स्तर गिराया तथा उसे साम्प्रदायिक रूप दे दिया।
मीडिया का यही बड़ा वर्ग देश की जनता को अब यह समझा रहा है कि गुजरात चुनाव में राहुल गांधी एक ऐसे परिपक्व जुझारू नेता बनकर उभरे हैं जिसकी सोच गांव गरीब और किसान हितैषी व विकासपरक है तथा जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए 2019 में चुनौती बनेंगे।

लेकिन गुजरात के चुनाव से सम्बन्धित मीडिया के इस वर्ग विशेष के उपरोक्त निष्कर्ष का बिन्दुवार आंकलन उसके निष्कर्षों की धज्जियां उड़ा देता है।

गुजरात चुनावों के दौरान राहुल गांधी ने अपने भाषणों और प्रचार अभियान में गुजरात और केन्द्र की सरकार तथा विशेष रूप से प्रधानमंत्री पर 7-8 गम्भीर आरोप लगाए थे। अपने उन्हीं अरोपों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल पूछे थे। राहुल गांधी का पूरा चुनाव प्रचार अभियान अपने इन्हीं 7-8 आरोपों/सवालों तक सीमित/केन्द्रित रहा था।
राहुल गांधी का पहला सबसे संगीन आरोप यह था कि...
नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में टाटा की नैनो फेक्ट्री को 33 हज़ार करोड़ रू दे दिए, लेकिन नैनो कहीं नहीं दिखती।
राहुल गांधी के इस आरोप का जवाब 1 दिसम्बर को स्वयं टाटा मोटर्स ने पूरे देश के मीडिया संस्थानों के लिए बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति भेजकर दिया। अपनी प्रेस विज्ञप्ति में टाटा ने स्पष्ट कहा कि गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार द्वारा 33000 करोड़ रू टाटा की नैनो कम्पनी को दिए जाने का आरोप असत्य भ्रामक और तथ्यहीन है। गुजरात सरकार ने अपनी उद्योग संवर्धन नीति के अंतर्गत टाटा मोटर्स को 584 करोड़ रू. दिए हैं, सरकार ने हमें यह राशि किसी अनुदान या सहायता के रूप में नहीं बल्कि ऋण के रूप में दी है जिसे अनुबंधों की शर्तों के अनुसार कम्पनी चुकाएगी। टाटा मोटर्स ने अपने स्पष्टीकरण में यह भी जानकारी दी कि कम्पनी द्वारा सरकार को टैक्स के रूप में दी गयी धनराशि में से ही 584 करोड़ रु का उपरोक्त कर्ज़ टाटा मोटर्स को दिया गया है।

1 दिसम्बर को टाटा मोटर्स के उपरोक्त स्पष्टीकरण के बावजूद राहुल गांधी ने 13 दिसम्बर को हुई अपनी अन्तिम प्रेस कॉन्फ्रेंस तक अपनी सभी चुनावी रैलियों में उपरोक्त आरोप बार बार जमकर लगाया और दोहराया। अपने इस आरोप के पक्ष में तथा 1 दिसम्बर को दिए गए टाटा के स्पष्टीकरण के खिलाफ राहुल गांधी या कांग्रेस ने आजतक एक भी तथ्य साक्ष्य या दस्तावेज़ देश या गुजरात की जनता के समक्ष पेश नहीं किया है।
जरा सोचिए की 584 करोड़ रु के कर्ज़ को 33000 करोड़ रु का सरकारी उपहार बताकर राहुल गांधी ने गुजरात और देश की जनता की आंखों में कई हफ्तों तक किस निर्लज्जता के साथ धूल झोंकी.? लेकिन क्या उस दौरान या फिर आज भी राहुल गांधी के इस सरासर शर्मनाक झूठ पर राहुल गांधी या कांग्रेस से किसी मीडिया वाले ने कोई सवाल पूछा।
इस लेख की अगली कड़ियों में राहुल गांधी द्वारा गुजरात में खेले गए सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक झूठ फ़रेब मक्कारी के शर्मनाक सियासी खेल के तथ्यात्मक उदाहरण यह बताएंगे कि... IPL की चीयर लीडर्स की तरह राहुल गांधी को परिपक्व, जुझारू, गांव, गरीब और किसान हितैषी विकासपरक सोच का नेता तथा देश का अगला विकल्प बता रहे मीडिया का एक वर्ग विशेष वह दीमक है जो लोकतन्त्र के चौथे ख़म्भे को लगातार बुरी तरह खोखला कर रही है।
#क्रमश:
भाग-2 को इस लिंक पर जाकर पढ़िए।
http://jansadan.blogspot.in/2017/12/blog-post_22.html?m=1

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